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हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल।
– फोटो : अमर उजाला
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बात 30 अक्तूबर 1990 की है। अयोध्या राम मंदिर आंदोलन में कार सेवा के लिए जा रहे गोरखपुर के सौ से ज्यादा लोगों को बीच रास्ते से गिरफ्तार कर लिया गया। इसमें तत्कालीन भाजपा विधायक एवं वर्तमान में हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल, हिंदू महासभा के विधायक ओम प्रकाश पासवान को समर्थकों के साथ पुलिस ने नौसड़ चौराहे के पास रोक लिया। सभी को बेलीपार थाने पर बैठाया गया और फिर आजमगढ़ जेल भेज दिया। एक महीने जेल में रहे। इस दौरान कई जिलों से आए लोगों की मुलाकात हुई और इससे कारसेवकों का नेटवर्क और मजबूत हो गया।
हिमाचल के राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ल ने दूरभाष पर अपनी स्मृतियां साझा करते हुए बताया-आज भी वह दौर याद कर शरीर में सिहरनसी होने लगती है। मुझे याद है पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर से अयोध्या के लिए रथयात्रा निकाली।
उनकी रथ यात्रा को 30 अक्तूबर 1990 को अयोध्या पहुंचनी थी। बिहार में लालू यादव की सरकार थी और आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया। उनकी गिरफ्तारी से पूरे हिंदू जनमानस में उबाल आ गया। यह तय हुआ कि कारसेवा में गोरखपुर से हजारों की संख्या में कारसेवक जाएंगे।
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उन्होंने बताया- मेरे साथ सैकड़ों समर्थक अयोध्या जाने के लिए घर से निकले। इसी बीच मानीराम के विधायक ओमप्रकाश पासवान भी आ गए। हम लोगों का काफिला जैसे ही नौसड़ पहुंचा, वहां पर भारी पुलिस तैनात थी। हमारा रास्ता रोक लिया गया।
कहासुनी, धक्कामुक्की के बाद आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया। वहां से पुलिस की सुरक्षा में बेलीपार थाने लाया गया फिर आजमगढ़ में केंद्रीय विद्यालय में बनाए गए अ्रस्थायी जेल में एक महीने तक रखा गया। उस समय जेल में बंद बहुत से साथी अब दुनिया में नहीं रहे।
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