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भिखारी सिंह का नाती रामनपाल, भाई ओमकार औ क्यारा गांव निवासी सतीश सिंह
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
हम आजादी का अमृत महोत्सव मनाकर बैठे हैं। लोकतंत्र में सबको हक देने के दावे भी किए जाते हैं, लेकिन रामगंगा की कटरी में आज भी दबंगों का अलिखित कानून चलता है। रायपुर हंस में कभी जमींदार रहे लोगों के वंशज ड्राइवर और प्लंबर बनकर शहरों में वक्त काट रहे हैं, क्योंकि उनकी जमीनों पर भू-माफिया का कब्जा है। दबंगों की कब्जा नीति से आहत तमाम संपन्न लोग भी गांव से पलायन कर गए हैं।
केस- 1
रायपुर हंस निवासी ठाकुर भिखारी सिंह की गिनती जमींदारों में होती थी। उनकी सौ बीघा जमीन दबंगों ने कब्जा ली। उनकी हाल ही में मृत्यु हुई है। उनके पोते रमनपाल सिंह ड्राइवर हैं। दूसरे पोते देवेंद्र मुरादाबाद से गोरखपुर प्राइवेट गाड़ी चलाते हैं। उनके एक बेटे वीरपाल शहर में रहकर प्लंबर का काम करते हैं।
भिखारी सिंह के भतीजे शिव कुमार पचौमी की एक फैक्टरी में काम करते हैं तो दूसरे भतीजे राजकुमार हल्द्वानी में एक क्रेशर के कर्मचारी हैं। एक भाई ओमकार के दो बेटे पशुपालन से परिवार चलाते हैं। भिखारी सिंह के एक बेटे सुरेंद्र पाल जमीन की नापजोख कराने गए थे तो रामगंगा में डूबकर उनकी मौत हो गई। उनकी पत्नी लंबी कानूनी लड़ाई लड़कर जमीन न ले सकीं तो मायके जाकर रहने लगीं।
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