[ad_1]
भाद्रपद पूर्णिमा की व्रत विधि (Bhadrapada Purnima 2022 Vrat Vidhi)
भाद्रपद पूर्णिमा के दिन व्रत भी रखा जाता है. इसके लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. इसके बाद पूजा स्थल को साफ कर भगवान सत्यनारायण की मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद पूजा के लिए पंचामृत और प्रसाद के लिए चूरमा बना लें. इसके बाद भगवान सत्यनारायण की कथा सुनिए. कथा के बाद भगवान सत्यनारायण, माता लक्ष्मी, भगवान शिव, माता पार्वती की आरती होती है. इसके बाद प्रसाद बांटे जाते हैं. इस तरह पूजा संपन्न होता है.
भाद्रपद पूर्णिमा को श्राद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा 10 सितंबर 2022 को है. पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधाना है. भाद्रपद मास की पूर्णिमा से ही श्राद्ध पक्ष भी शुरू हो जाते हैं, इसलिए इसे श्राद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है.
श्राद्ध पूजा की सामग्री
रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी , रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ, कपूर, हल्दी, देसी घी, माचिस, शहद, काला तिल, तुलसी पत्ता , पान का पत्ता, जौ, हवन सामग्री, गुड़ , मिट्टी का दीया , रुई बत्ती, अगरबत्ती, दही, जौ का आटा, गंगाजल, खजूर, केला, सफेद फूल, उड़द, गाय का दूध, घी, खीर, स्वांक के चावल, मूंग, गन्ना.
भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध का मुहूर्त (Shradh Purnima 2022 Time)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध पितृपक्ष का भाग नहीं होता है. जिनकी मृत्यु तिथि पूर्णिमा होती है उनका श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या के दिन किया जाता है. कोई इस दिन श्राद्ध कर्म करना चाहे तो इमुहूर्त के अनुसार सुबह 11:59 से शाम 04:08 तक कर सकता है.
भाद्रपद पूर्णिमा महत्व (Bhadrapad Purnima Shradh significance)
पूर्णिमा तिथि पर सत्यनारायण की पूजा करना उत्तम फलदायी मान गया है. कलयुग में सत्यनारायण देव की उपासना से व्यक्ति को धन प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है. पूर्णिमा पर व्रत कर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने या सुनने से इंसान मोक्ष को प्राप्त करता है. उनके घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. सारे कष्ट दूर होते हैं. भाद्रपद पूर्णिमा पर उमा-महेश्वर का व्रत भी किया जाता है. इसमें शंकर पार्वती की पूजा करने से पिछले जन्म के पाप और दोष खत्म हो जाते हैं.
[ad_2]
Source link