Bihar: औरंगाबाद में गर्मी उफान पर, रोज सैकड़ों लोग हो रहे लू के शिकार; अब तक 5 मरे, इलाज के सिस्टम का बुरा हाल

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Hundreds of people are becoming victims of heat stroke everyday in Aurangabad; 5 dead so far

हीट स्ट्रोक वार्ड में इलाज करा रहे लू के शिकार लोग
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

बिहार के औरंगाबाद में गर्मी उफान पर है। मौसम का पारा 43 डिग्री के पार है। मौसम का चढ़ा पारा लोगों को गिरा रहा है यानी लोग लू (हीट स्ट्रोक) के शिकार हो रहे हैं। एक ओर हीट वेव रुकने का नाम नहीं ले रहा है। दूसरी ओर रोज सैकड़ों लोग हीट स्ट्रोक के शिकार हो रहे हैं। अनाधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, लू लगने से अब तक पांच लोगों की मौत हुई है। वहीं, प्रतिदिन सैकड़ों लोग हीट स्ट्रोक की चपेट में आ रहे हैं। गांव से लेकर शहर तक जहां हीट स्ट्रोक के शिकार लोगों का इलाज हो रहा है। वहीं, इस दौरान इलाज का सारा सिस्टम फेल दिख रहा है। कहीं बेड की कमी, तो कही इलाज का अभाव। कुल मिलाकर हीट स्ट्रोक के शिकार लोगों के इलाज का पूरा सरकारी सिस्टम ही फेल है।

नशा मुक्ति वार्ड को बना दिया हीट स्ट्रोक वार्ड

औरंगाबाद के सबसे बड़े अस्पताल यानी मॉडल अस्पताल का तमगा ले रखने वाले सदर अस्पताल की बात करें तो यहां हीट स्ट्रोक वार्ड है ही नहीं। यहां नशा मुक्ति वार्ड को ही हीट स्ट्रोक वार्ड बना दिया गया है। यहां मात्र दस बेड हैं। हर बेड पर ऑक्सीजन उपलब्ध है, लेकिन जिस हिसाब से प्रतिदिन सौ-सौ हीट स्ट्रोक के शिकार मरीज इलाज के लिए यहां पहुंच रहे हैं, उस हिसाब से इस वार्ड में बेड कम पड़ जा रहे हैं। लिहाजा पोषण पुनर्वास केंद्र से सटे कर्कट वाले शेड में 25 बेड डालकर एक टेम्परेरी एक्स्ट्रा हीट स्ट्रोक वार्ड बना दिया गया है।

इसमें मरीजों को राहत देने के नाम पर दो बड़े वाले कूलर लगे हैं। इस टेम्परेरी वार्ड का तो हाल और भी बुरा है क्योंकि इसी वार्ड की दीवार पर एसी का कंप्रेसर लगा है जो वहां के वातावरण में गर्म हवा घोल रहा है। साथ ही इससे निकल रही ग्रीन हाउस प्रभाव वाली जहरीली गैस भी यहां के वातावरण में घुल रही है। ऐसे जहरीले वातावरण में हीट स्ट्रोक के शिकार लोगों का इलाज हो रहा है। ऐसे दमघोंटू और गर्म वातावरण में इलाज भगवान भरोसे ही चल रहा है और शायद मरीज भगवान भरोसे ही ठीक हो रहे हैं।

20 दिनों से बंद पड़ा है आईसीयू

हीट स्ट्रोक के शिकार किसी मरीज की हालत गंभीर होने पर उसके गहन इलाज के व्यवस्था की बात करें तो भी फेल है। सदर अस्पताल का आईसीयू पिछले 20 दिनों से बंद पड़ा है। आईसीयू के बंद रहने की वजह भी बेहद छोटी सी है। वजह यह कि आईसीयू का स्टेबलाइजर खराब पड़ा है। तमाम तरह की खामियों के बावजूद यहां इलाज कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों और चिकित्सकों का दावा है कि कमियों के बीच भी वे हीट स्ट्रोक के शिकार मरीजों का बेहतर इलाज कर रहे हैं और मरीज ठीक भी हो रहे हैं। जब सबसे बड़े अस्पताल का यह हाल है तो अन्य सरकारी अस्पतालों के हाल की कल्पना ही की जा सकती है।

स्थानीय सांसद ने अस्पताल प्रबंधन को लिया आड़े हाथ

औरंगाबाद के सांसद सुशील कुमार सिंह ने सदर अस्पताल का आईसीयू बंद रहने को लेकर अस्पताल प्रबंधन को आड़े हाथ लिया है। सांसद ने कहा कि मैंने काफी प्रयास कर पावर ग्रिड के सीएसआर के तहत सदर अस्पताल में पांच बेड का आईसीयू चालू कराया था। उसका बंद रहना मेरे प्रयासों को पलीता लगाने के समान है। अस्पताल प्रबंधन इसे तत्काल दुरुस्त करे अन्यथा इसकी शिकायत वे विभाग के बड़े अधिकारियों से करेंगे।

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