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आरसीपी सिंह, उपेंद्र कुशवाहा के बाद अब प्रो. रणबीर नंदन ने भी छोड़ा जदयू का साथ।
– फोटो : अमर उजाला
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार को उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से देशभर के भाजपा-विरोधी दलों को एकजुट कर पटना में 23 जून को पहली बैठक बुलाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी के अंदर बहुत कुछ हो रहा है। दो दिन पहले वाकया सामने आया, जब बिहार सरकार के एक मंत्री से जदयू अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने पूछ दिया कि आप फलां जिला कैसे जा सकते हैं। आज फिर कुछ हंगामेदार हो गया, जिसके कारण जदयू के पूर्व एमएलसी प्रो. रणवीर नंदन से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पूरा वाकया ‘अमर उजाला’ को बताया। इसके बाद ललन सिंह से भी संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने मीडिया का नाम सुनते ही कॉल काट दिया।
आरसीपी, कुशवाहा के बाद सीधा आरोप नंदन का
जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचंद्र प्रसाद सिंह, यानी आरसीपी ने इस्तीफा देते समय कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार किसी के चंगुल में फंस गए हैं। उन्हें सच का या तो पता नहीं चल रहा है या फिर वह देखना नहीं चाहते हैं। उन्होंने ललन सिंह पर उन्हें फंसाने की साजिश रचने का भी आरोप लगाया था। फिर सीएम की ओर से जदयू के संसदीय बोर्ड अध्यक्ष बनाए गए उपेंद्र कुशवाहा ने भी ललन सिंह से ही परेशान होकर इस्तीफे की बात कही। अब जदयू के पूर्व विधान पार्षद प्रो. रणवीर नंदन ने कहा कि ललन सिंह सीधे तौर पर अपमानित कर रहे हैं, इसलिए इज्जत गंवाकर साथ में रहना संभव नहीं।
मुख्यमंत्री ने सम्मान दिया, ललन अपमानित करते हैं
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी, पीयू की छात्र राजनीति में जदयू की एंट्री कराने वाले और पार्टी के अगड़ा चेहरे प्रो. रणवीर नंदन ने ‘अमर उजाला’ को बताया- “पहले से ऐसा कुछ नहीं था, हालांकि परिस्थितियां जरूर विपरीत थीं। विधान पार्षद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बनाया था। वह सम्मान था। टिकट नहीं मिलने के कारण पार्टी छोड़ने का सवाल नहीं उठा, क्योंकि सीएम के प्रति आस्था में कोई कमी नहीं आयी। लेकिन, जब प्रतिष्ठा पर चोट लगे तो कैसे संभव है कि टिका जाए। आज राष्ट्रीय अध्यक्ष से बात हो रही थी तो उन्होंने बात-बात में ही कह दिया कि पार्टी में रहना है तो रहिए और निकलना है तो निकल लीजिए। मुख्यमंत्री के प्रति सम्मान में कमी न आयी है, न आएगी; लेकिन पार्टी में अपमान के बाद बने रहना ठीक नहीं देख इस्तीफा भेज दिया। पार्टी के इस नेतृत्व में वापसी संभव नहीं है। यह अपमान मेरा भले ही पहली और अंतिम बार हुआ है, लेकिन पार्टी के कई नेताओं को मैं मौजूदा अध्यक्ष से अपमान सहता देख रहा हूं। एक आम नेता से ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं की जा सकती और यहां तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ही बेइज्जत करने का ठेका लिए बैठे हैं। ललन सिंह को यह सोचना चाहिए कि मुख्यमंत्री अपनी पार्टी के साथ ही देशभर के दलों को जोड़ने की मुहिम चला रहे और यह तोड़ने की साजिश रच रहे।”
इस्तीफे के बाद निष्कासन, ललन सिंह ने साधी चुप्पी
प्रो. रणवीर नंदन के इस्तीफे के कुछ घंटे बाद जदयू ने वापसी की संभावना खत्म करते हुए प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा के हस्ताक्षर से निष्कासन आदेश जारी किया। इसमें बताया गया है कि पार्टी विरोधी बयानों के कारण प्रो. रणवीर नंदन को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया जा रहा है। इन दोनों पत्रों के बीच ‘अमर उजाला’ ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के मोबाइल नंबर पर कॉल कर जानना चाहा कि अपमानित किए जाने का आरोप कितना सही है, लेकिन मीडिया का नाम सुनने के बाद उन्होंने कॉल काट दिया। इसके बाद उनसे संपर्क का सारा प्रयास बेकार गया।
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