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दूबेटोला गांव में पुस्तकालय के लिए शुरू किया गया किताब दान अभियान
– फोटो : अमर उजाला
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बिहार का पहला बाल विवाह मुक्त गांव बनने के बाद परिहार प्रखंड की महादलित बस्ती दूबेटोला द्वारा फिर से एक अनोखी पहल शुरू की गई है। यहां युवाओं की एक टोली बाल श्रम के खिलाफ अभियान चला रही है। पिछले कई सालों से अभियान चलाकर लोगों को जागरूक कर रही है। इसमें कई संस्थाओं से लेकर जिला प्रशासन की टीम शामिल है। इसमें रैली, जागरूकता कार्यक्रम, नुक्कड़ नाटक आदि के माध्यम से संदेश फैलाया जा रहा है।
महादलित बस्ती दूबेटोला में पुस्तकालय की व्यवस्था करवाने के लिए बाल संरक्षण समिति के सदस्य चंदन मांझी और दूबेटोला की प्रथम मैट्रिक पास बाल समिति की सदस्य इंद्रा कुमारी के नेतृत्व में ‘किताब दान’ अभियान की शुरुआत की गई है। इस पहल के बाद गांव में काफी उत्साह का माहौल है।
प्रखंड का यह गांव नेपाल बॉर्डर पर स्थित है, जिसके कारण तस्करी होती है। पहले यहां के बच्चे काफी संख्या में बाल तस्करी करते थे। लेकिन, बचपन बचाओ आंदोलन के अथक प्रयास से इस गांव में बच्चों के बीच संवरता बचपन समेत विभिन्न तरह के कार्यक्रम चलाकर शिक्षा की तरफ आकर्षित किया गया। इसके बाद बच्चों ने तस्करी का धंधा छोड़कर पढ़ाई को अपना मुख्य लक्ष्य मान लिया है। पंचायत में हाईस्कूल और मिडिल स्कूल से बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यह गांव पूरी तरह बाल विवाह मुक्त और बाल श्रम मुक्त हो चुका है।
इस संबंध में मुखिया धनेश्वर पासवान ने बताया कि अब दूबेटोला गांव बाल विवाह मुक्त गांव है। गांव के बच्चों का शिक्षा के प्रति लगाव के लिए पुस्तकालय की व्यवस्था करवाना आवश्यक है। पुस्तकालय के लिए सामूहिक रूप से किताब दान अभियान शुरू किया गया है। अभियान के पहले दिन कुछ पुस्तकें भी मिली हैं। हमें सभी लोगों से आशा है कि उनका सहयोग और समर्थन जरूर मिलेगा।
वहीं, पुस्तकालय के स्थान के लिए मुखिया द्वारा जिला प्रशासन से अनुरोध किया जाएगा। वहीं, बाल संरक्षण समिति के सदस्य चंदन मांझी ने कहा कि इंसान अगर संकल्प ले तो सब कुछ संभव है, जिसके प्रेरणा स्रोत पर्वत पुरुष बाबा दशरथ मांझी हैं।
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