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लालू अपने अंदाज के लिए ही राजनीति में अलग जगह रखते हैं।
– फोटो : अमर उजाला
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राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष, पूर्व रेलमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद अपने अंदाज के लिए जाने जाते हैं। कई बातें वह इशारे में भी करते हैं तो खबर निकल आती है। विपक्षी एकता की पटना में हुई पहली बैठक के अंत में कांग्रेस के नंबर वन नेता राहुल गांधी के ‘दूल्हा’ बनने की छेड़ी उनकी चर्चा सुर्खियों में रही थी। मई में जब पटना हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश के जरिए बिहार में जातिगत जनगणना पर रोक लगाई थी तो राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने 5 मई को साफ भविष्यवाणी की थी- “जातिगत जनगणना बहुसंख्यक जनता की मांग है और यह होकर रहेगा।”
इसे सर्वे नहीं, साफ-साफ जनगणना कहा था
बिहार की महागठबंधन सरकार ने इसे सरकारी दस्तावेजों में जाति आधारित सर्वे कहा है। पटना हाईकोर्ट में भी इसी बात पर बल दिया गया कि यह जनगणना नहीं, बल्कि जाति आधारित सर्वे है। लेकिन, लालू प्रसाद ने सोशल मीडिया पोस्ट में साफ तौर पर लिखा था कि जातिगत जनगणना होकर रहेगी। उनके ट्वीट को 1599 यूजर ने सीधे री-ट्वीट किया था, जबकि 56 ने इसे अपनी बात के साथ री-ट्वीट किया था। करीब आठ हजार लाइक्स वाले इस ट्वीट में लालू ने लिखा था- “जातिगत जनगणना बहुसंख्यक जनता की माँग है और यह हो कर रहेगा। BJP बहुसंख्यक पिछड़ों की गणना से डरती क्यों है? जो जातीय गणना का विरोधी है; वह समता, मानवता, समानता का विरोधी एवं ऊँच-नीच, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ेपन, सामाजिक व आर्थिक भेदभाव का समर्थक है। देश की जनता जातिगत जनगणना पर BJP की कुटिल चाल और चालाकी को समझ चुकी है।” पटना हाईकोर्ट के अंतरिम फैसले के बाद सामने आकर इस तरह की भविष्यवाणी भी लालू ने अकेले ही की थी।
किसी राजनीतिक दल का विरोध नहीं था
पटना हाईकोर्ट ने जब जाति आधारित जन-गणना बताते हुए पूरी प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाई तो भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राज्य की नीतीश कुमार सरकार को घेरा था कि उसने बिना तैयारी इसे शुरू करा दिया, जिसके कारण यह हुआ। लालू ने इसी बात पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। हालांकि, सच्चाई यह है कि कागजों पर जाति आधारित सर्वे का भाजपा ने भी विरोध नहीं किया था। पटना हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक, जहां भी यह मामला गया- आम लोगों और समूहों के विरोध के कारण ही पहुंचा।
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