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शहीद-ए-कारगिल पार्क में बदमाशों ने की तोड़-फोड़
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
बिहार के नालंदा में बदमाशों द्वारा जवानों की शहादत की याद में बनाए गए कारगिल पार्क को सोमवार की रात क्षतिग्रस्त कर दिया गया। मामला लहेरी और दीपनगर थाना इलाके के शहीद-ए-कारगिल पार्क से जुड़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि जब स्थानीय लोग सुबह की सैर के लिए निकले तो शहीद-ए-कारगिल पार्क के अंदर का नजारा देख दंग रह गए।
दरअसल, पार्क के अंदर शहीदों के लिए बनाए गए स्मारक चिन्ह को तोड़ दिया गया तो वहीं पार्क के अंदर लगे पौधों को भी उखाड़ फेंका गया। इतना ही नहीं अमर जवानों के नाम लिखे शिलापट को भी क्षतिग्रस्त करने का प्रयास किया गया है। यह नजारा देख आम लोगों में काफी रोष व्याप्त है। जैसे ही घटना की जानकारी आसपास के इलाकों में फैली स्थानीय लोगों का हुजूम घटनास्थल पर उमड़ पड़ा।
जॉर्ज फर्नांडिस ने किया था उद्घाटन
शहिद-ए-कारगिल पार्क का निर्माण सांसद राजीव रंजन सिंह के द्वारा कराया गया था। उसका उद्घाटन भारत सरकार के तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस के द्वारा वर्ष 2003 में किया गया था। शहीद-ए-कारगिल पार्क में ऑपरेशन विजय में शहीद बिहार के जवानों और 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए जवानों के नाम अंकित किए गए हैं।
जानकारी के मुताबिक, बदमाशों ने पौधों को उखाड़ कर पार्क में रखे गए टैंक पर लगा दिया था, जिससे यह अंदेशा लगाया जा रहा है कि यह सोची समझी साजिश है। पार्क को बदमाशों के द्वारा बुरी तरीके से तहस-नहस कर दिया गया है।
घटना की जानकारी मिलते ही पदाधिकारियों में हड़कंप मच गया। मौके पर एसडीओ, डीएसपी लहेरी और दीपनगर थाना पुलिस पहुंच कर मामले की जांच में जुट गई है। सदर एसडीओ अभिषेक पलासिया ने बताया कि असमाजिक तत्वों द्वारा यह घटना की गई है। आसपास के लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की पड़ताल और स्थानीय लोगों से पूछताछ की जा रही है।
दो थाना क्षेत्रों के अंतर्गत आता है यह पार्क
शहीद-ए-कारगिल पार्क दो थाना (दीपनगर और लहेरी थाना) क्षेत्र में पड़ता है। एक तरफ का द्वार दीपनगर जबकि दूसरे तरफ का द्वार लहेरी थाना की ओर खुलता है। दीपनगर थाना जहां दो सौ मीटर की दूरी पर है तो वहीं लहेरी थाना डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। डायल 112 की पुलिस कारगिल चौक पर ही रहती है। वहीं, एक्साइज के पुलिसकर्मी भी पार्क से सटे ही एक कमरे में रहते है। इसके बावजूद उन्हें बदमाशों के द्वारा घंटों मचाए गए उत्पात की भनक तक नहीं लगी।
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