Bihar: श्यामा माई मंदिर के प्रधान पुजारी भी न्यास बोर्ड के आदेश के खिलाफ; कहा- बलि प्रथा रोकना अनुचित

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Sharad Jha, head priest of Shyama Mai temple, termed order of Trust Board to stop sacrifice practice as unfair

श्यामा माई मंदिर, दरभंगा
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड द्वारा दरभंगा के श्यामा माई मंदिर में बलि प्रदान की प्रथा पर रोक लगाने के आदेश के बाद विरोध-प्रदर्शन का शिलशिला लगातार चौथे दिन भी जारी है। बिहार सरकार के समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने कहा कि सरकारी स्तर पर या धार्मिक न्यास के द्वारा इस प्रथा को बंद करने का आदेश दिया गया है, हमको लगता है कि यह अनुचित है। वहीं, अब इसे रोकने के आदेश के विरोध में श्यामा माई मंदिर के प्रधान पुजारी शरद कुमार झा भी सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि इसे रोकने का आदेश बिल्कुल गलत है। हालांकि बलि प्रथा पर रोक का आदेश वापस ले लिया गया है।

‘बलि प्रथा रोकना हमारे हृदय पर आघात’

मंदिर के प्रधान पुजारी शरद झा ने कहा कि इस मंदिर का निर्माण 1933 में दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह ने करवाया था। उसी समय से यहां बलि प्रदान की प्रथा रही है। यह प्रथा अनादि काल से चली आ रही है। इसमें हमारे बहुत सारे पूर्वज और ऋषि मुनि लगे हुए हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि यज्ञ में बलि की व्यवस्था है। हमारे यहां पूजा पद्धति में भी बलि की व्यवस्था है। हमारे यहां जो मुंडन, उपनयन या कोई भी पूजा होती है, उसमें हमारे कुल देवता के यहां बलि दी जाती है।

प्रधान पुजारी ने कहा कि इस परंपरा को रोकना हमारे हृदय पर आघात है। अधिकारियों ने ऐसा क्यों किया है, ये तो वही लोग बताएंगे। पूजा की पद्धति में है, यहां पूजा पद्धति के हिसाब से बलि होती है। यहां ऐसा नहीं होता कि पशु को लाकर सीधे तौड़ पर काट दिया जाता है। यहां लाए गए पशु की पहले पूजा होती है, उसकी परीक्षा होती है। अगर पशु परीक्षा (पूजा) स्वीकार करता है, तभी बलि होती है। प्रधान पुजारी कहते हैं कि इस मंदिर में शुरू से हमारे पूर्वज ही पूजा कराते आएं हैं, अब हम तीसरी पीढ़ी हैं जो यहां श्यामा माई मंदिर में पूजा करा रहे हैं।

 

‘हमको लगता है कि ये अनुचित है’

बलि प्रथा की रोक पर बिहार सरकार समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने कहा है कि हम लोग इसके पक्ष धर नहीं हैं। यह लोगों के आस्था का विषय है और यह लंबे समय से चलता आ रहा है। यह कोई पहला मंदिर नहीं है। हम लोग भी श्यामा माई मंदिर हमेशा जाते रहते हैं। श्यामा मंदिर के अलावा अन्य जगहों पर यह प्रथा चलती है। यहां तक कि घरों पर भी कुलदेवता की पूजा करते हैं तो वहां भी बलि प्रथा का प्रावधान है। इस पर रोक लगाने का कोई औचित्य नहीं है।

मंत्री ने कहा कि इसमें क्या जिनको अच्छा लगता है वो करेंगे, जिनको नहीं अच्छा लगेगा वह नहीं करेंगे। लोगों में जागरूकता जैसे-जैसे आएगी, यह समाप्त हो जाएगा। लेकिन सरकारी स्तर पर या धार्मिक न्यास के द्वारा इस प्रथा को बंद करने का आदेश दिया गया है, ये हमको लगता है कि यह अनुचित है।

 

‘मंदिर में तांत्रिक विधि से पूजा होती है’

वहीं, इस संबंध में श्यामा माई न्यास पर्षद के उपाध्यक्ष पंडित कमलाकांत झा ने कहा कि इस मंदिर में तांत्रिक विधि से पूजा होती है। इस वर्ष भी दुर्गा पूजा के दौरान इस मंदिर परिसर में बलि प्रदान हुआ है। बिहार राज्य न्यास बोर्ड पटना के अध्यक्ष अखिलेश कुमार जैन के द्वारा श्यामा माई न्यास बोर्ड के सचिव सह डीएम राजीव रोशन को आदेश दिया गया, जिसके आलोक में न्यास बोर्ड ने इसे बैन कर दिया है। उन्होंने कहा कि यहां जो लोग भी आंदोलन कर रहे हैं, इससे अच्छा होगा कि पटना न्यास बोर्ड के अध्यक्ष से मिलकर बात की जाए।

‘मंदिर के विधान में छेड़छाड़ की जा रही है’

भाजपा प्रदेश महासचिव मीना झा ने कहा कि श्यामा माई मंदिर वैष्णव भूमि नहीं है, यह चिता पर बना हुआ है। यहां लोगों की मनोकामना की पूर्ति होने पर लोग दूर-दूर से माता को बलि चढ़ाने आया करते हैं। न्यास समिति 2007 में बनी है, तब से हमेशा कुछ न कुछ मंदिर के विधान में छेड़छाड़ की जा रही है।

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