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आरोपी धंधेबाज और बरामद लॉटरी की खेप
– फोटो : अमर उजालाा
विस्तार
बिहार में 30 साल से लॉटरी की बिक्री पर प्रतिबंध है। इसके बावजूद राज्य में लॉटरी की अवैध तरीके से बिक्री का खेल जारी है। लॉटरी की बिक्री के एक ऐसे ही खेल का औरंगाबाद के दाउदनगर थाना पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने लॉटरी की अवैध तरीके से बिक्री करने वाले एक धंधेबाज को गिरफ्तार किया है। धंधेबाज के पास से पुलिस ने लॉटरी की एक खेप और मोबाइल भी बरामद किया है। गिरफ्तार धंधेबाज की पहचान दाउदनगर शहर के बम रोड निवासी मो. नईम अंसारी के बेटे जादेव अंसारी के रूप में हुई है।
दाउदनगर थानाध्यक्ष ने बताया कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि शहर के बम रोड में एक ठिकाने से लॉटरी का अवैध गोरखधंधा संचालित किया जा रहा है। इस सूचना के बाद पुलिस ने अपने खुफिया तंत्र के माध्यम से लॉटरी के धंधेबाज के बारे में पूरी जानकारी इकट्ठा की। उसके बाद पुलिस ने सदल बल ठिकाने पर छापेमारी की। इस दौरान लॉटरी का अवैध धंधा करने वाले जादेव अंसारी को धर दबोचा। धंधेबाज के पास से पुलिस ने अवैध फर्जी लॉटरी और एक मोबाइल फोन बरामद किया है। धंधेबाज द्वारा अपने घर से ही लॉटरी के अवैध धंधे का संचालन किया जा रहा था। मामले में भादंवि की सुसंगत धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। गिरफ्तार धंधेबाज को जेल भेज दिया गया है।
1993 से लागू है लॉटरी की बिक्री पर प्रतिबंध
बिहार में तत्कालीन राज्य सरकार ने वर्ष 1993 में ही लॉटरी बिक्री को अवैध करार देते हुए खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है। प्रतिबंध के तहत लॉटरी की खरीद बिक्री पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। इसके बावजूद प्रतिबंध लागू रहने के 31 साल में भी राज्य में लॉटरी की बिक्री का खेल बंद नहीं हो सका है।
कागजों पर लॉटरी बंद, धड़ल्ले से चल रहा धंधा
बिहार में अभी भी लॉटरी का अवैध धंधा इस तरह से फल-फूल रहा है कि मानो धंधेबाज कोई दुकान चला रहा हो। इस गोरखधंधे के जरिए कई धंधेबाज करोड़पति बन चुके हैं। जबकि लॉटरी खरीदने वाले लोग अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई खो रहे हैं। बस कागजों पर ही लॉटरी का अवैध धंधा बंद लगता है, लेकिन यह धंधा धड़ल्ले से चल रहा है। मामले में पुलिस भी कभी-कभार ही कार्रवाई करती है। छापेमारी की जाती है और दो-चार लोगों को गिरफ्तार कर लॉटरी के खिलाफ अभियान की खानापूर्ति कर ली जाती है। नतीजतन शहर से लेकर गांव तक में लॉटरी का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है।
अमीर बनने के चक्कर में फंस रहे गरीब-गुरबे
लॉटरी की कीमत कम होती है। लिहाजा अधिकांश गरीब लोग आसानी से धंधेबाजों के जाल में फंस जाते हैं। फिर अमीर बनने की फिराक में लोग अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई को गंवा देते हैं। लॉटरी के अवैध धंधे के जरिए कई धंधेबाज करोड़पति बन चुके हैं। जबकि लॉटरी खरीदने वाले लोग अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई खो रहे हैं। खासकर रिक्शा चालक और फुटपाथ के दुकानदार आदि। इस पूरे खेल के पीछे सफेदपोश लोग शामिल हैं, जिनके संरक्षण में यह गोरखधंधा चल रहा है। जो पर्दे के पीछे से पूंजी लगाते हैं, बिना रोक-टोक के धंधेबाजों का धंधा चले इसकी व्यवस्था करते हैं।
13 राज्यों को छोड़कर बाकी में लॉटरी बिक्री पर प्रतिबंध
देश के 13 राज्यों में ही लॉटरी को वैध माना गया है। इनमें अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, पंजाब, सिक्किम और पश्चिम बंगाल राज्य शामिल हैं। शेष राज्यों में सरकार ने लॉटरी की बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है।
राज्य सरकार ने लॉटरी खेलने व खिलाने वालों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने का प्रावधान कर रखा है। अधिवक्ता अभिनंदन कुमार ने बताया कि लॉटरी की अवैध बिक्री के खिलाफ भादंवि की धारा 294ए, 420 और अन्य सुसंगत धाराओं के तहत कार्रवाई की जाती है। धारा 294ए के तहत लॉटरी कार्यालय रखने पर छह माह के कारावास या जुर्माना अथवा दोनों से दंडित करने का प्रावधान है।
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