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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आईएएस केके पाठक।
– फोटो : अमर उजाला डिजिटल
विस्तार
बिहार में राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा रहा है। बुधवार को शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रक के वेतन पर लगी रोक को हटा लिया था। इसके बाद नौ मार्च को फिर से बैठक बुला ली थी। अब इस मामले में राजभवन की ओर से नया आदेश आया है। यह आदेश विश्वविद्यालय के कुलपतियों, कुलसचिवों और परीक्षा नियंत्रकों के लिए जारी किया गया है। राजभवन की ओर से जारी पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि कुलपति बिना कुलाधिपति (राज्यपाल) से अनुमति लिए मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे। इसे आदेश के बाद फिर से शिक्षा विभाग और राजभवन में टकराव बढ़ सकता है।
शिक्षा विभाग ने कुलपतियों पर दर्ज करवाई की प्राथमिकी
बता दें कि 28 फरवरी को शिक्षा विभाग की ओर से अपर मुख्य सचिव केके पाठक अध्यक्षता में बैठक बुलाई गई थी। इसमें सभी विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रक को बैठक में शामिल होने का आदेश दिया गया था। लेकिन, राजभवन की ओर से विश्वविद्यालय के इन अधिकारियों को बैठक में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई थी। इसके बाद कुलपति समेत ये सभी अधिकारी शिक्षा विभाग की बैठक में शामिल नहीं हुए। इसके बाद शिक्षा विभाग ने सभी कुलपति, कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रक का वेतन रोक दिया। इतना ही नहीं शिक्षा विभाग ने इन्हें शोकॉज नोटिस भी जारी किया। जब जवाब नहीं आया तो इन अधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज करवा दी गई। इसके बाद राजभवन ने मुख्य सचिव को फोन करके शिक्षा विभाग अधिकारियों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया।
कुलपति के मामले में सक्षम प्राधिकार कुलाधिपति हैं
बुधवार को शिक्षा विभाग ने कुलपति, कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रक के वेतन से रोक हटा लिया और फिर से नौ मार्च को बैठक में आने का आदेश दिया। इसके बाद राजभवन ने इस मामले पर संज्ञान लिया। आदेश दिया कि किसी भी विश्वविद्यालय के कुलपति बिना अनुमति मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे। अनुमति लिखित या टेलीफोन पर ली जाएगी। कुलपति के मामले में सक्षम प्राधिकार कुलाधिपति (राज्यपाल) हैं। आदेश का पालन नहीं करने वालों पर राजभवन की ओर से कार्रवाई की जाएगी।
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