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कोसी नदी, मधुबनी
– फोटो : अमर उजाला
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नेपाल के तराई क्षेत्रों में हो रही मूसलाधार बारिश के कारण कोसी नदी के जल स्तर में काफी वृद्धि हो गई है। मधेपुर प्रखंड के कई गांव पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। मधेपुर प्रखंड के बकुआ पंचायत के राधिकापुर में कोसी नदी में लगातार कटाव हो रहा है। इस वजह से ग्रामीणों को आशियाना उजड़ने का डर सता रहा है।
करोड़ों का कटाव रोधी कार्य नदी में समा रहा
जिले के बकुआ पंचायत के राधिकापुर में करोड़ों खर्च कर हुआ कटाव रोधी कार्य कोसी नदी में समा रहा है। इस वजह से कई घर कोसी नदी में विलीन होने के कगार पर पहुंच गए हैं। वहीं, बाकी बचे ग्रामीणों को इसका डर सताने लगा है कि एक करोड़ 47 लाख रुपए खर्च कर जल संसाधन विभाग ने कोसी नदी के किनारे कटाव रोधी कार्य किया था। लेकिन लगातार हो रहे कटाव की वजह से अब ग्रामीणों को डर सता रहा है।
जलस्तर और बढ़ा तो हालात होंगे भयावह
मालूम हो कि इस जगह पिछले साल दर्जनों घर कोसी नदी में कटकर विलीन हो गए थे। एक तरफ जहां जिओ बैग लगवाने के बाद वहां फिर से रीस्टोरेशन का काम किया जा रहा है। वहीं, दूसरी तरफ पिलर भी नदी में समा रहे हैं। ग्रामीणों को भय है कि अभी तो समान्य जलस्तर पर यह हालात हैं। अगर कहीं कोसी नदी का जलस्तर और बढ़ा तो फिर क्या होगा। यानी हालात और भी भयावह होंगे उन्हें अपने घर नदी में समा जाने का डर लगातार सता रहा है। अब जरूरत है कटाव रोकने के लिए दिन-रात एक करने की, ताकि यहां के ग्रामीण चैन की नींद सो सकें।
हर साल हो रही बाढ़ की समस्या
मालूम हो कि मधेपुर प्रखंड के बकुआ पंचायत तथागत गढ़ गांव पंचायत के आसपास बसे गांव में लोगों को हर साल बाढ़ की समस्या से जूझना पड़ता है। आजादी के सात दशक बीत जाने के बावजूद भी केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार कोसी के पेट में बसे हुए सैकड़ों गांव के लिए अस्थाई समाधान करने में आज तक विफल है। इस कारण यहां के निवासियों को हर साल बाढ़ की विभीषिका झेलनी पड़ती है।
‘सिर्फ खानापूर्ति हो रही है’
ग्रामीण यादव ने बताया कि सही से अगर इस बार पहले से काम किया जाता तो यह स्थिति नहीं होती, सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। पिलर काफी दूरी पर बनाया गया था जिससे कटाव जारी है। वहीं, कई महिलाओं ने बताया कि हम लोग करें तो क्या करें। सरकार हम लोगों के लिए व्यवस्था करे, नहीं तो हम लोगों के घर-द्वार सब कोसी नदी में बह जाएंगे।
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