Bihar News: गयाजी में मिनी पितृपक्ष मेला शुरू, कड़ाके की ठंड के बावजूद पिंडदानी कर रहे श्राद्ध कर्मकांड

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Gaya: Mini Pitru Paksha fair begins, Pind Daani is performing Shraddha rituals despite severe cold

अपने पितरों का पिंडदान करते लोग
– फोटो : अमर उजाला

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वैसे तो गयाजी पौराणिक धार्मिक नगरी है। यहां कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, लेकिन गयाजी को मोक्ष की नगरी के रूप में भी जाना जाता है। यही वजह है कि पितृपक्ष मेला के दौरान देश-दुनिया से लाखों की संख्या में लोग यहां आते हैं और अपने पितरों की मोक्ष की प्राप्ति को लेकर पिंडदान कर्मकांड करते हैं। इन दिनों यहां मिनी पितृपक्ष मेला चल रहा है। यह मिनी पितृपक्ष खरमास के दौरान होता है। विगत 29 दिसंबर से लेकर 15 जनवरी तक मिनी पितृपक्ष मेला लगता है। इस दौरान देश-दुनिया से आने वाले पिंडदानी अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए यहां पिंडदान करते हैं। खरमास के दौरान पिंडदान करने का विशेष महत्व है।

वैसे तो गयाजी में विष्णुपद, देवघाट, सीताकुंड, प्रेतशिला और अक्षयवट सहित कई मुख्य पिंड स्थल हैं। लेकिन इन दिनों सबसे ज्यादा भीड़ देवघाट पर होती है, जहां पिंडदानी अपने पितरों को मोक्ष के निमित श्राद्ध कर्मकांड कर रहे हैं। इन दिनों मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित देश के अन्य कई राज्यों से पिंडदानी अधिक संख्या में पहुंच रहे हैं।

इन दिनों गया में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। दिन भर घना कोहरा छाया रहता है। इसके बावजूद पिंडदानी अहले सुबह देवघाट और अन्य पिंड स्थल पर पहुंच रहे हैं, जहां अपने पितरों की मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदान कर्मकांड कर रहे हैं। कड़ाके की ठंड के बावजूद बड़ी तादाद में पिंडादानी कर्मकांड कर रहे हैं। आस्था पर ठंड कोई मायने नहीं रखती, यह स्पष्ट रूप से पिंडस्थल पर देखा जा रहा है।

स्थानीय गयापाल पंडा गजाधर लाल कटिरयार ने बताया कि वैसे तो पितृपक्ष मेला सितंबर और अक्टूबर माह में लगता है। लेकिन खरमास के दिनों में यह पितृपक्ष मेला 29 दिसंबर से 15 जनवरी तक चलता है। खरमास के दौरान पिंडदान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है की खरमास के दौरान पिंडदान करने से पितरों को सीधे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। उन्हें बैकुंठ वास होता है और पिंडदान करने वाले पिंडदानी का जीवन सुखी रहता है। उनके परिवार में सुख-समृद्धि आती है। इसी के निमित्त खरमास के दौरान पिंडदान किया जा रहा है।

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