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मोबाइल टॉर्च की रोशनी में मरीज का इलाज करते डॉक्टर
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
बिहार के सुपौल जिले में मंगलवार की देर रात महिलाओं के आपसी विवाद में भतीजे ने चाचा को गोली मारकर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया। घटना में चाचा की पीठ पर गोली लगी और सीने से बाहर निकल गई। यह घटना जदिया थाना क्षेत्र के जदिया वार्ड नम्बर 14 की है। गंभीर रूप से घायल चाचा को परिजन त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल ले गए। जहां ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉ. बीएन पासवान की निगरानी में मोबाइल की रोशनी में जख्मी व्यक्ति का प्राथमिक उपचार कर बेहतर इलाज लिए हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। लेकिन इस दौरान अनुमंडलीय अस्पताल से एक शर्मनाक तस्वीर सामने आई। वह यह थी कि गोली लगने से जख्मी व्यक्ति का उपचार सरकारी अस्पताल में मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में किया गया।
अस्पताल की बिजली मिली गुल
जानकारी के अनुसार, जिस वक्त जख्मी मरीज का उपचार चल रहा था, उस वक्त बिजली नहीं थी। बिजली नहीं रहने के कारण डॉक्टर को इस इमरजेंसी पेसेंट का उपचार मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में करना पड़ा। जो सरकार की बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के खोखले दावे का ज्वलंत उदाहरण है। यह आलम यहीं नहीं रुका, जब घटना की सूचना पर त्रिवेणीगंज एसडीपीओ विपिन कुमार दल बल के साथ अस्पताल पहुंचे तो उस वक्त भी लाइट कटी थी। एसडीपीओ साहब को भी मामले की पूछताछ मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में करनी पड़ी।
घटना के बारे में जख्मी जदिया वार्ड नम्बर 14 निवासी अशोक मंडल ने बताया कि लेडीज वगैरह में आपस में लड़ाई-झगड़ा हो रहा था। इसी बीच-बचाव के दौरान मेरे बड़े भाई का लड़का यानी मेरा भतीजा आया और हमको पीछे से गोली मारकर जख्मी कर दिया।
मामले की जांच कर रहे हैं हम लोग
वहीं, घटना के संबंध त्रिवेणीगंज एसडीपीओ विपिन कुमार ने बताया कि जदिया वार्ड नम्बर 14 निवासी अशोक मंडल को उसके दियादी झगड़े में जगदीश मंडल के बेटे जीवन मंडल उर्फ जुम्मन मंडल ने गोली मारी है। एक आदमी को गोली लगी है। आरोपी की शिनाख्त हो गई है। उसे हिरासत में भी ले लिया गया है। अभी झगड़े की वजह कुछ स्पष्ट नहीं हुई है। हम लोग जांच कर रहे हैं। जल्द पता चल जाएगा।
‘सब एनजीओ की समस्या है’
इसके साथ ही अस्पताल में अंधेरा होने को लेकर अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबंधक नीरज चौधरी ने बताया कि सब एनजीओ की समस्या है। बार-बार इस तरह की बात होती है। बार-बार एनजीओ को पत्र लिखा गया है। एसडीओ साहब को भी प्रतिलिपि दी गई है। फिर भी एनजीओ पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। आज भी बोला गया है, बार-बार एनजीओ की ओर से यही बोला जाता है कि जेनरेटर खराब हो गया है, तेल नहीं है।
सरकारी अस्पताल में मोबाइल के टॉर्च की रोशनी में इलाज करने का यह मामला कोई नया नहीं है। इससे पहले भी कई बार घायल मरीजों का इलाज मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में किया गया है। जो बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव के बेहतर स्वास्थ्य के दावे का झूठा और ज्वलंत नमूना है।
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