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भूतों को पकड़ने और भगाने का दावा करने वाले ओझा भी इस मेले में बड़ी संख्या में आकर मंडली लगाते हैं।
– फोटो : अमर उजाला
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हमारा देश आज चांद पर चला गया लेकिन अभी भी लोग अंधविश्वास की तरफ लोगों का झुकाव है। कई इलाकों में आज भी अंधविश्वास, साइंस पर भारी पड़ता साफ नजर आ जाता है। इसका जीता जागता उदाहरण कार्तिक पूर्णिमा की रात हाजीपुर के कौनहाराघाट घाट में देखने को मिला। यहां भूत भगाने का खेल पूरी रात कौनहाराघाट घाट पर चलता रहा। चौंकाने वाली तो यह है कि इस मेले को लेकर वैशाली जिला प्रशासन भी लगभग एक महीना से इस भूत के मेले के आयोजन के लिए लगातार मेहनत करती नजर आती है। विधि व्यवस्था में कोई गड़बड़ी न हो, इसके लिए पुलिसकर्मी हमेशा अलर्ट मोड पर रहते हैं।
ओझाओं के दावे भी आपको अजूबे लगेंगे
मेले में आए लोगों ने कहा कि भूत को पकड़ने और भगाने के लिए भारी संख्या में भगत और ओझा भी इस मेले में पहुंचते हैं। जहां पर भगत और ओझा की दुकान पूरी रात चलती है। तांत्रिक रात भर चलने वाले इस अनुष्ठान के दौरान भूत से परेशान लोगों को निजात दिलाते दिखते हैं। भूतों को पकड़ने और भगाने का दावा करने वाले ओझा भी इस मेले में बड़ी संख्या में आकर अपनी मंडली लगाते हैं। जगह-जगह ओझाओं की मंडली सजी होती है। जो अलग-अलग अनुष्ठान कर रहे होते हैं। भूत भगाने का तस्वीर देखने को मिलती है। यहां अजीबोगरीब दृश्य दिखता है। कहीं तो भूत भगाने के लिए महिलाओं को बालों से खींचा जाता है। तो कहीं छड़ी यानी स्थानीय भाषा में जिसे बेत कहते हैं। उनसे पिटाई भी की जाती है। भूतों के इस अजूबे मेले में आए ओझाओं के दावे भी आपको अजूबे लगेंगे। सबसे मजेदार बात ये होती है कि भूतों की भाषा सिर्फ ओझा और भगत समझते हैं।
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