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विधानसभा में सीएम नीतीश कुमार।
– फोटो : अमर उजाला
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा विधान मंडल में लड़कियों की शिक्षा और प्रजनन दर पर दिए गए विवादित बयान आज मुजफ्फरपुर की कोर्ट में सुनवाई होनी थी। यह सुनवाई टल गई। कोर्ट एक दिसंबर को अगली सुनवाई करेगी। जस्टिस पंकज कुमार लाल की कोर्ट में इस केस की सुनवाई होनी है। यह जानकारी परिवादी सह अधिवक्ता अनिल कुमार सिंह ने दी है।
दरअसल, अधिवक्ता अनिल कुमार सिंह ने सीएम नीतीश कुमार के बयान के विरोध में मुजफ्फरपुर कोर्ट में 8 नवंबर को परिवाद दायर किया था। शिकायतकर्ता का कहना है कि 7 नवंबर को बिहार विधानसभा और विधान परिषद में शिक्षा की भूमिका और जनसंख्या नियंत्रण में महिलाओं की भूमिका को समझाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा काफी अपमानजनक थी। इससे माता और बहनों का अपमान हुआ है। संवैधानिक संस्था में इस तरह भाषा का प्रयोग आपत्तिजनक है। न्यायालय से अनुरोध है कि वह इस मामले को गंभीरता से ले और सीएम नीतीश कुमार पर कार्रवाई करेे।
जानिए, सीएम नीतीश कुमार के किस बात पर मचा था बवाल
मंगलवार को जाति आधारित गणना की रिपोर्ट पढ़ने के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने जो कहा, उसे शब्दश: नहीं लिखा जा सकता। उनकी कही बातें वायरल हुईं। उन्होंने कहा था कि “पुरुष है वह तो रोज रात में (इशारा) ###, उसके साथ वह रोज (इशारा) ### है न! त उसी में वह ### हो जाता है। लड़की पढ़ लेती है तो उसे पता होता कि वह ### ठीक है, लेकिन अंतिम में ### उसको ### कर दो।” मुख्यमंत्री दरअसल शिक्षा के कारण बिहार में जन्म-दर गिरने की बात बताना चाह रहे थे, लेकिन वह इतना कुछ बोल गए थे कि बयान वायरल होने लगा।
सीएम नीतीश कुमार ने कहा था- मैं अपनी निंदा करता हूं
सीएम नीतीश कुमार ने पहले विधानसभा परिसर में अपने बयान पर माफी मांगी। इसके बाद दोनों सदन में कहा कि अगर मेरी किसी बात को लेकर तकलीफ हुई है तो मैं अपनी बात वापस लेता हूं। मैं दुख प्रकट कर रहा हूं। मैं अपनी निंदा करता हूं। मेरी किसी शब्द के चलते किसी तो तकलीफ हुई है तो आप कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री शर्म करें। मैं न सिर्फ शर्म कर रहा हूं बल्कि दुख भी प्रकट करता हूं।
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