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डीआईजी अनुसूइया (सबसे दाएं) ने डीजी शोभा ओहटकर की प्रताड़ना लिखी। आईजी विकास वैभव भी प्रताड़ित थे।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
बिहार पुलिस में अफसरशाही का बड़ा खेल एक बार फिर उजागर हुआ है। अफसरशाही के लिए नाम भी उसी अफसर का आया है, जिनका करीब सात महीने पहले आया था। तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने डीजी शोभा ओहटकर को बख्श दिया और प्रताड़ना का आरोप लगाने वाले आईजी विकास वैभव और प्रताड़ित होकर बीमार हुए डीआईजी बिनोद कुमार को ही किनारे लगा दिया। इस बार होमगार्ड एंड फायर सर्विसेज की डीजी शोभा ओहटकर पर आरोप महिला डीआईजी अनुसूइया रणसिंह साहू ने लगाया है। अनुसूइया ने भी आरोपों के साथ प्रमाण लगाए हैं। वह भी बीमार होकर इलाजरत रही हैं। खास बात यह है कि महिला डीआईजी ने अपनी डीजी की प्रताड़ना पूरे छह महीने सहने के बाद त्राहिमाम संदेश लिखा है।
15 दिन संबंध मधुर, घोटाला खोला तो प्रताड़ना
गृह रक्षा वाहिनी एवं अग्निशमन सेवाएं की उप महानिरीक्षक-सह-उप महासमादेष्टा अनुसूइया रणसिंह साहू ने राज्य के मुख्य सचिव के अलावा यह त्राहिमाम संदेश गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव, बिहार के पुलिस महानिदेशक, गृह विभाग के विशेष सचिव और गृह विभाग के सचिव को भी भेजा है; हालांकि उन्होंने इसे सीधे तौर पर महानिदेशक-सह-महासमादेष्टा शोभा ओहटकर को ही लिखा है। इस त्राहिमाम संदेश में अनुसूइया ने बताया है कि “गृह रक्षा वाहिनी एवं अग्निशमन सेवाएं के डीआईजी के रूप में योगदान देने के 15 दिनों तक डीजी शोभा ओहटकर से उनके संबंध बेहद मधुर थे। फिर, उन्होंने लगभग 15 फाइलें समीक्षा के लिए दीं। इनकी गहन समीक्षा के दौरान अग्निशमन वाहनों की खरीदारी से संबंधित टेंडर की फाइल में कुछ गड़बड़ी नजर आयी तो बिहार सरकार के वित्त विभाग के सलाहकार एवं जेम पोर्टल के नोडल अफसर से इसपर मंतव्य लिया। मंतव्य से पुष्टि हो गई कि करीब साढ़े छह करोड़ का घोटाला है। इस गड़बड़ी की जानकारी डीजी को देना और यह बताना कि इस विषय में वित्त विभाग के सलाहकार से इसपर मंतव्य लिया है, मेरे लिए खतरनाक साबित हुआ।”
डेढ़ घंटे गालियां सुनने के बाद सदमे में बीमार हुई
भारतीय पुलिस सेवा (IPS) 2006 बैच की अधिकारी अनुसूइया रणसिंह साहू ने सोचा होगा कि गड़बड़ी पकड़ने पर ईमानदारी के लिए ईनाम मिलता है, लेकिन गलती यहीं हो गई। उन्होंने अपने त्राहिमाम संदेश में लिखा है- “गड़बड़ी पकड़ने और इस बारे में वित्त विभाग के सलाहकार से सलाह लेने की जानकारी मिलते ही डीजी भड़क गईं। मुझे डेढ़ घंटे तक लगातार गालियां दीं। इस दौरान बताती रहीं कि उनसे टकराने वाले विकास वैभव या बाकी अफसरों का क्या हश्र हुआ। मैंने पक्ष रखा कि आपने फाइलें अध्ययन के लिए दी थीं और गलतियां दिखीं तो समझने के लिए वित्तीय परामर्शी से सलाह ली। लेकिन, इसपर फिर जवाब मिला कि 33 साल की उनकी नौकरी में आजतक उनकी मर्जी के बगैर पत्ता तक नहीं हिला। अपशब्दों के अलावा डीजी ने मेरा कॅरियर बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ने की बात कही। इन बातों के सदमे में मैं बेहोश हो गई और मेरे पति ने साथ रहे स्टाफ की मदद से मुझे अस्पताल में भर्ती कराया।” अनुसूइया ने 13 पन्नों में अपना त्राहिमाम संदेश डीजी की ओर से संचिकाओं पर लगाए आरोपों का विवरण देते हुए जवाब और साक्ष्य के साथ सभी अधिकारियों को भेजा है।
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