[ad_1]

रक्तदान
– फोटो : pixabay
विस्तार
पटना एम्स में 14 साल की बच्ची के लिए रेयरेस्ट ऑफ रेयर ब्लड ग्रुप कहे जाने वाले 'बॉम्बे ब्लड ग्रुप' की दो यूनिट उपलब्ध करवा दी र्ग है। मां ब्लड सेंटर ने मुंबई से प्लाइट के जरिए इस ब्लड ग्रुप को मंगवाया और बच्ची के परिजनों को सौंप दिया। बच्ची को आज हर हाल में इस दुर्लभ ब्लड की जरूरत थी। डेंगू से पीड़ित इस बच्ची का हीमोग्लोबिन मात्र 3 ग्राम था। डॉक्टर ने जान बचाने के ब्लड चढ़ाने की बात कही थी।
एम्स के ओ पॉजिटिव सैंपल से मैच नहीं हुआ। पीएमसीएच में ओ पॉजिटिव खून ही नहीं था। रेड क्रॉस में भी मैच नहीं हुआ। इसके बाद कई प्राइवेट अस्पतालों में भी समाधान नहीं हुआ। कई जगह टालने के लिहाज से दरियापुर स्थित मां ब्लड सेंटर भेज दिया गया। ‘ब्लड मैन’ के नाम से मशहूर मुकेश हिसारिया ने सोशल मीडिया पर इसके डोनर को ढूंढ़ना शुरू किया तो देशभर से हैरत के साथ सवाल आने लगे। लेकिन, आम लोगों के सामूहिक प्रयास से शुरू हुए मां ब्लड सेंटर की पूरी टीम समानांतर तौर पर जरूरतमंद बच्ची के लिए खून के इंतजाम में लग गई। बॉम्बे ब्लड ग्रुप के खून की तलाश सबसे पहले मुंबई में ही की गई और सफलता भी हाथ लग गई। बच्ची के अब्बू को बताया गया तो वह उम्मीद की खुशी से रोने लगे कि अब उनकी बेटी बच जाएगी।
पटना एम्स निःशुल्क मुहैया कराया गया दो यूनिट ब्लड
मां ब्लड बैंक के अनुसार, बिहार के बाहर विभिन्न ब्लड बैंकों से बॉम्बे ब्लड ग्रुप ग्रुप का ब्लड प्राप्त करने के प्रयास के क्रम में उन्होंने मुंबई के लाईफ ब्लड काउंसिल के विनय शेट्टी से संपर्क स्थापित किया। विनय शेट्टी के सेवा भावना के फलस्वरूप सायन ब्लड सेंटर, मुंबई और काई वामनराव ओक ब्लड बैंक, थाणे के सौजन्य से बॉम्बे ब्लड ग्रुप का दुर्लभ ब्लड का आपूर्ति संभव हो पाया। मां ब्लड सेंटर द्वारा औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत सभी कागजी प्रक्रिया पूरी कर मुंबई से बॉम्बे ब्लड ग्रुप का यूनिट प्राप्त किया गया और पटना एम्स को इसे निःशुल्क मुहैया कराया गया।
किसी भी ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को चढ़ाया जा सकता इसे
बता दें कि आमतौर पर इंसानों में A+, B+, AB+, 0+ या A-, B-, AB-, 0- जैसे ब्लड ग्रुप पाए जाते हैं लेकिन एक ऐसा ब्लड ग्रुप भी हैं, जिसके बारे में शायद ही किसी को पता हो। दुनिया भर में यह बेहद दुर्लभ ब्लड ग्रुप है, जिसकी वजह से इस ग्रुप का डोनर मिलना भी मुश्किल होता है। यह बहुत कम लोगों के शरीर में पाया जाता है जिसके कारण इसे गोल्डन ब्लड कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम आर.एच. नल ब्लड ग्रुप (Rh Null Blood Group) है। कहा जाता है कि इस ब्लड ग्रुप को किसी भी ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को चढ़ाया जा सकता है। क्योंकि किसी भी ब्लड ग्रुप के साथ यह आसानी से मैच हो जाता है। यह ब्लड ग्रुप सिर्फ उस व्यक्ति के शरीर में मिलता है जिसका Rh फैक्टर Null (Rh-null) होता है।
[ad_2]
Source link