दाड़लाघाट में बंद किया गया प्रोडक्शन गेट। – फोटो : संवाद
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हिमाचल प्रदेश के दाड़लाघाट सीमेंट प्लांट बंद होने से बाहरी राज्यों से आए मजदूरों और छोटे कारोबारियों ने यहां से पलायन करना शुरू कर दिया है। पिछले तीन दिन में 75 प्रतिशत ढाबा, टायर पंक्चर, मेकेनिक समेत अन्य दुकानों के कर्मचारियों और मालिकों ने भी अपनी दुकानें बंद कर दी हैं। हालांकि, कई ढाबे चल रहे हैं, लेकिन वहां पर भी मालिक खाली बैठे हैं। सड़क से गुजर रहे इक्का-दुक्का राहगीर और पर्यटक ही उनके पास रुक रहे हैं। इन सभी का कहना है कि अब सरकार खुद इस मामले में अदाणी समूह से बात करे और कंपनी को बंद होने से रोका जाए ताकि उनका रोजगार बचा रहे।
दाड़लाघाट प्लांट से शनिवार को भी कुछ मजदूर घर के लिए रवाना हुए। इनमें ज्यादातर यूपी और बिहार के मजदूर थे। वह दोपहर 2:00 बजे दाड़लाघाट से चंडीगढ़ जाने वाली बस में निकल गए। कुछ कामगारों को आए तो एक से दो माह ही हुए थे। सीमेंट कंपनी के प्लांट में सभी गतिविधियां बंद कर दी गई हैं। कंपनी की ओर से जल्द काम शुरू करने की उम्मीद नहीं है। वहीं, बरमाणा सीमेंट प्लांट बंद होने से हार्डवेयर और स्पेयर पार्ट्स के लिए मशहूर बरमाणा और बैरी बाजार सूने हो गए हैं। इन बाजारों में स्पेयर पार्ट्स, टायर पंक्चर और मेकेनिक की दुकानें हैं।
इनका काम ठप हो चुका है। हालत यह है कि दिन में लाखों रुपये के स्पेयर पार्ट्स बेचने वाले व्यवसायियों की कमाई शून्य हो चुकी है। जबकि, हजारों रुपये कमाने वाले मेकेनिक रोजमर्रा का खर्च भी नहीं निकाल पा रहे हैं। प्लांट में ढुलाई करने वाले ट्रकों के पहिये थमे हुए हैं। उनके चालक घरों में है। कंपनी में काम करने वाले कामगार और कर्मचारी या तो घरों को लौट चुके हैं या फिर पलायन कर चुके हैं। बैरी बाजार में स्पेयर पार्ट का काम करने वाले सुमन रतवान ने बताया कि सीमेंट प्लांट बंद होने से पहले प्रतिदिन एक लाख रुपये की आमदनी होती थी, लेकिन प्लांट बंद होने से कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया है।
दुकान पर चार कामगार कार्यरत हैं। हालात ये हैं कि दिन में इतनी भी कमाई नहीं हो रही कि कामगारों की मजदूरी ही निकल जाए। बैरी बाजार में वाहनों में बैटरी डालने का काम करने वाले अनिल कुमार का कहना कि हर दिन करीब एक हजार रुपये की बचत होती थी, लेकिन अब तीन दिन से रोजमर्रा का खर्च भी नहीं निकल रहा है। वाहन के इलेक्ट्रीशियन सुरेंद्र कुमार का कहना था कि दिन में करीब 1,500 रुपये कमा लेता था, लेकिन अब कमाई शून्य हो चुकी है। बरमाणा बाजार में स्पेयर पार्ट्स की दुकान करने वाले रफ्तार सिंह ने बताया कि दिन में 60,000 रुपये के स्पेयर पार्ट्स बिक जाते हैं, लेकिन अब कमाई लगभग शून्य हो चुकी है।
अंबुजा और एसीसी प्लांट प्रबंधकों और ट्रांसपोर्टरों के बीच चल रहे विवाद का असर शेयर बाजार पर भी पड़ा है। दोनों कंपनियों के शेयर में भारी गिरावट आ गई है। शुक्रवार को एक दिन में ही एसीसी सीमेंट के शेयर 18 रुपये 75 पैसे तक गिर गए। बीते कुछ सप्ताह में यह सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है। साथ ही अंबुजा सीमेंट के शेयर में भी पांच रुपये 15 पैसे तक गिरावट आ गई है। शुक्रवार शाम तक दोनों कंपनियों के शेयर में गिरावट दर्ज की गई। हालांकि शनिवार को शेयर बाजार बंद रहा।
ऐसे में शेयर अब पहले की रेशो में गिर रहा है। वहीं, कंपनी के शेयर में गिरावट को देखते हुए कई लोगों ने अपने शेयर निकाल लिए हैं। आगामी दिनों में भी कई लोग शेयर अपने विड्रॉ कर सकते हैं। शनिवार और रविवार को शेयर बाजार छुट्टी के कारण बंद रहता है। ऐसे में अब सोमवार को बाजार खुलेगा। वहीं, अंबुजा और एसीसी के शेयर गिरने का असर अन्य सीमेंट कंपनियों के शेयर पर भी पड़ने के आसार हैं।
एसीसी का शेयर अंबुजा से महंगा शुक्रवार को एसीसी कंपनी के एक शेयर की कीमत 2616.75 रुपये थी। जबकि 4,35,332 लोगों ने एसीसी कंपनी के शेयर की खरीद फरोख्त की थी। सुबह से ही एसीसी की शेयर बाजार में गिरावट आनी शुरू हो गई थी, जो शाम तक 18.75 रुपये तक पहुंच गई। दूसरी ओर अंबुजा कंपनी के एक शेयर की कीमत 556.5 रुपये थी। इस शेयर की खरीद फरोख्त 48,54,309 लोगों ने थी। शाम तक इसमें भी 5.15 रुपये की गिरावट आई।
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हिमाचल प्रदेश के दाड़लाघाट सीमेंट प्लांट बंद होने से बाहरी राज्यों से आए मजदूरों और छोटे कारोबारियों ने यहां से पलायन करना शुरू कर दिया है। पिछले तीन दिन में 75 प्रतिशत ढाबा, टायर पंक्चर, मेकेनिक समेत अन्य दुकानों के कर्मचारियों और मालिकों ने भी अपनी दुकानें बंद कर दी हैं। हालांकि, कई ढाबे चल रहे हैं, लेकिन वहां पर भी मालिक खाली बैठे हैं। सड़क से गुजर रहे इक्का-दुक्का राहगीर और पर्यटक ही उनके पास रुक रहे हैं। इन सभी का कहना है कि अब सरकार खुद इस मामले में अदाणी समूह से बात करे और कंपनी को बंद होने से रोका जाए ताकि उनका रोजगार बचा रहे।
दाड़लाघाट प्लांट से शनिवार को भी कुछ मजदूर घर के लिए रवाना हुए। इनमें ज्यादातर यूपी और बिहार के मजदूर थे। वह दोपहर 2:00 बजे दाड़लाघाट से चंडीगढ़ जाने वाली बस में निकल गए। कुछ कामगारों को आए तो एक से दो माह ही हुए थे। सीमेंट कंपनी के प्लांट में सभी गतिविधियां बंद कर दी गई हैं। कंपनी की ओर से जल्द काम शुरू करने की उम्मीद नहीं है। वहीं, बरमाणा सीमेंट प्लांट बंद होने से हार्डवेयर और स्पेयर पार्ट्स के लिए मशहूर बरमाणा और बैरी बाजार सूने हो गए हैं। इन बाजारों में स्पेयर पार्ट्स, टायर पंक्चर और मेकेनिक की दुकानें हैं।
इनका काम ठप हो चुका है। हालत यह है कि दिन में लाखों रुपये के स्पेयर पार्ट्स बेचने वाले व्यवसायियों की कमाई शून्य हो चुकी है। जबकि, हजारों रुपये कमाने वाले मेकेनिक रोजमर्रा का खर्च भी नहीं निकाल पा रहे हैं। प्लांट में ढुलाई करने वाले ट्रकों के पहिये थमे हुए हैं। उनके चालक घरों में है। कंपनी में काम करने वाले कामगार और कर्मचारी या तो घरों को लौट चुके हैं या फिर पलायन कर चुके हैं। बैरी बाजार में स्पेयर पार्ट का काम करने वाले सुमन रतवान ने बताया कि सीमेंट प्लांट बंद होने से पहले प्रतिदिन एक लाख रुपये की आमदनी होती थी, लेकिन प्लांट बंद होने से कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया है।
दुकान पर चार कामगार कार्यरत हैं। हालात ये हैं कि दिन में इतनी भी कमाई नहीं हो रही कि कामगारों की मजदूरी ही निकल जाए। बैरी बाजार में वाहनों में बैटरी डालने का काम करने वाले अनिल कुमार का कहना कि हर दिन करीब एक हजार रुपये की बचत होती थी, लेकिन अब तीन दिन से रोजमर्रा का खर्च भी नहीं निकल रहा है। वाहन के इलेक्ट्रीशियन सुरेंद्र कुमार का कहना था कि दिन में करीब 1,500 रुपये कमा लेता था, लेकिन अब कमाई शून्य हो चुकी है। बरमाणा बाजार में स्पेयर पार्ट्स की दुकान करने वाले रफ्तार सिंह ने बताया कि दिन में 60,000 रुपये के स्पेयर पार्ट्स बिक जाते हैं, लेकिन अब कमाई लगभग शून्य हो चुकी है।