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Chhath Puja 2022: उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आज समापन हो गया. बिहार, झारखंड के प्रचलित पर्व छठ की छटा अब अन्य राज्य जैसे यूपी और दिल्ली के अलावा विदेशों में भी देखने को मिल रही है.
सूर्योपासना का यह पर्व कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है. इस वर्ष छठ पर्व की शुरुआत शुक्रवार को स्नान यानी नहाय-खाय के साथ हुई. इसके बाद शनिवार को व्रतियों ने ‘खरना’ का प्रसाद ग्रहण किया. ‘खरना’ के दिन व्रती उपवास कर शाम को स्नान के बाद विधि-विधान से रोटी और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद ग्रहण करते हैं. इसी के साथ व्रती महिलाओं का दो दिवसीय निर्जला उपवास शुरू हो गया.
उगते सूर्य को अर्घ्य देने का जानें महत्व
छठ पूजा का अंतिम और आखिरी दिन ऊषा अर्घ्य होता है. इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. जिसके बाद छठ के व्रत का पारण किया जाता है. इस दिन व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उदितनारायण सूर्य को अर्घ्य देती हैं और सूर्य भगवान और छठी मैया से संतान की रक्षा और परिवार की सुख-शांति की कामना करती हैं. इस पूजा के बाद व्रती कच्चे दूध, जल और प्रसाद से व्रत का पारण करती हैं.
31 अक्टूबर को सूर्योदय का समय
ऊषा अर्घ्य 31 अक्टूबर यानी आज के दिन उगते हुए सूर्य को दिया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, 31 अक्टूबर को सूर्योदय का समय सुबह 06 बजकर 27 मिनट पर रहेगा.
ऊषा अर्घ्य के दिन इन बातों का रखें ध्यान
1. सूर्य देव को अर्घ्य देते समय अपना चेहरा पूर्व दिशा की ओर ही रखें
2. सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए हमेशा तांबे के लोटे का प्रयोग करें.
3. सूर्य देव को अर्घ्य देते समय जल के पात्र को हमेशा दोनों हाथों से पकड़े.
4. सूर्य को अर्घ्य देते समय पानी की धार पर पड़ रही किरणों को देखना शुभ माना जाता है.
5. अर्घ्य देते समय पात्र में अक्षत और लाल रंग का फूल जरूर डालें.
2023 में कार्तिक छठ कब
17 नवंबर 2023, शुक्रवार – नहाय-खाय
18 नवंबर 2023, शनिवार – खरना
19 नवंबर 2023 रविवार (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय : सोमवार – डूबते सूर्य का अर्घ्य
20 नवंबर 2023 सोमवार (उषा अर्घ्य) सूर्योदय का समय – उगते सूर्य का अर्घ्य
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