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ड्रग विभाग की टीम ने कोरियर से पहुंचीं दवाइयों को गिना।
– फोटो : संवाद
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नकली दवा बनाने के मामले में आगरा भेजी गई दवाओं की खेप वापस बद्दी पहुंच गई है। 21 नवंबर को ये दवाएं बद्दी से कोरियर से आगरा भेजी गई थीं। इस बीच, बद्दी में नकली दवाइयां बनाने के मामले का भंडाफोड़ हो गया। स्टोर और कंपनी में दबिश देने के बाद ड्रग विभाग ने आरोपी मोहित बंसल की आगरा स्थित दुकान को सीज कर दिया था। जब दवाइयों का कोरियर पहुंचा तो दुकान बंद थी। ड्रग विभाग ने उस कोरियर को वापस मंगवा लिया। यह रविवार को वापस पहुंचा। ये दवाएं नकली तो नहीं हैं, इसकी जांच के लिए ड्रग विभाग सैंपल जांच के लिए ड्रग टेस्टिंग लैब में भेजेगा।
ट्रांसपोर्ट के माध्यम से बद्दी पहुंचीं दवाएं नामी कंपनी सिपला, यूएसवी और गुवाहाटी की एरिस लाइफ साइंस कंपनी के मार्का की हैं। ये अलग-अलग दर्द निवारक दवाएं हैं। यह दवाएं असली हैं या नकली, इसकी जांच भी विभाग करेगा। दवाओं के सैंपल ड्रग टेस्टिंग लैब में भेजे जाएंगे। रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगा कि मोहित बंसल ने यह दवाएं स्वयं बनाई थीं या अपने गोदाम में असली दवाएं रखी थीं। दवा निरीक्षकों ने एक-एक कर सब दवाओं की डिब्बियों की गणना की और फिर उन्हें सीलबंद कर दिया। उधर, शनिवार को मुख्य आरोपी मोहित बंसल की पुलिस रिमांड समाप्त हो गई थी। न्यायालय ने उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
छुट्टी वाले दिन होती रही दवाई की गणना
रविवार को छुट्टी वाले दिन भी छह दवा निरीक्षक सुबह से आगरा से ट्रांसपोर्ट के माध्यम से पहुंचीं दवाओं की गणना करते रहे। इनके बेसिक मूल्य के बारे में जानकारी जुटाते रहे। प्रारंभिक जांच में 12 पेटियों में बंद तीनों नामी कंपनियों की दवाइयां लाखों की बताई जा रही हैं। उधर, राज्य ड्रग कंट्रोलर नवनीत मरवाहा ने बताया कि मामले में विभाग गहनता से जांच कर रहा है। विभाग दिन-रात जांच में जुटा है और मामले की तह तक जाने का प्रयास कर रहा है।
27 लाख 91 हजार 445 रुपये की थीं नकली दवाएं
औषधि नियंत्रण विभाग हिमाचल प्रदेश ने विभिन्न ब्रांड के मोंटेयर 10, रोजडे 10 एवं ग्लिमिसेव एम 2 की 27,91,445 रुपये मूल्य की 1,77,300 नकली टैबलेट बरामद की हैं। यह दवाई निजी परिवहन एजेंसी से आगरा गई थीं, लेकिन आगरा में आरोपी का परिसर सील था। इस पर ड्रग विभाग ने एजेंसी को दवाई वापस करने के निर्देश दिए थे।
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