Court : कुलपति आरबी लाल की याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा- प्राथमिकी में नाम नहीं तो नहीं दे सकते चुनौती

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Prayagraj News :  आरबी लाल, कुलपति शुआटस।

Prayagraj News : आरबी लाल, कुलपति शुआटस।
– फोटो : अमर उजाला।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुआट्स नैनी, प्रयागराज के कुलपति राजेंद्र बिहारी लाल (आरबी लाल) की कोतवाली, फतेहपुर में 15 अप्रैल 22 को धोखे से धर्म परिवर्तन के आरोप में दर्ज प्राथमिकी की चुनौती याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि प्राथमिकी में याची नामित नहीं है। इसलिए उसे चुनौती देने का कानूनी अधिकार नहीं है।

कोर्ट ने कहा, विवेचना के दौरान यदि याची के खिलाफ  धर्म परिवर्तन में संलिप्तता का साक्ष्य मिलता है तो वह इस याचिका का विषय नहीं हो सकता। कोर्ट ने याचिका को पोषणीय नहीं माना और खारिज कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति गजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने कुलपति आरबी लाल की याचिका पर दिया है।

याचिका में फतेहपुर कोतवाली में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने तथा याची की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की गई थी। याची का कहना था कि हिंदुओं को धोखाधड़ी से ईसाई बनाने के आरोप में दर्ज प्राथमिकी में उसका नाम नहीं है। इसमें 35 लोगों को नामजद किया गया है और 30 अज्ञात के भाग जाने का आरोप लगाया गया है। 

याची का 14 अप्रैल 22 को हुई घटना से कोई सरोकार नहीं है। फिर भी विवेचना अधिकारी ने 26 दिसंबर 22 को उसे नोटिस दिया, जिसका जवाब दे दिया गया है। विवेचना जारी है, अभी चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है। पुलिस की ओर से याची को परेशान किया जा रहा है। सरकारी वकील का कहना था कि याची का प्राथमिकी में नाम नहीं है। इसलिए उसे चुनौती देने का अधिकार नहीं है।

कानून है कि प्राथमिकी से यदि अपराध का खुलासा हो रहा हो तो कोर्ट उसे रद्द नहीं कर सकती। जब प्राथमिकी में याची का नाम नहीं तो वह नहीं कह सकते कि आरोप उन्हीं के खिलाफ  है। बाद में कोई साक्ष्य याची के खिलाफ  विवेचना के दौरान मिलता है तो उस पर इस याचिका में विचार नहीं किया जा सकता।



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