DDU में यौन उत्पीड़न प्रकरण: पुलिस रिकॉर्ड में आने नहीं देते..अंदर ही दफन हो जाते हैं तमाम मामले

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Molested harassment case in DDU Police does not allow it to be recorded

सांकेतिक तस्वीर।
– फोटो : iStock

डीडीयू में यौन शोषण का मामला गरमाने के बाद अब जांच के ढर्रे और मंशा पर भी सवाल उठने लगे हैं। इसके पीछे वजह भी है। जिले में जितने भी बड़े मामले खुले हैं, उनका ढर्रा यही रहा कि पुलिस उन्हें सुलझाने में जुटती है तो संबंधित विभाग उलझाने में।

मेडिकल कॉलेज में पुलिस घुसी तो मरीज, एंबुलेंस और खून माफिया का गिरोह सामने आया। राजस्व विभाग में पुलिस घुसी तो भू-माफिया कमलेश यादव और दूसरे मामले सामने आ गए। सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि जैसे ही जांच संबंधित विभाग में पहुंचती है, वहीं पर पूरी तरह से ठप हो जाती है। कोई भी विभाग अपने दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई की अनुमति नहीं देता।

पुलिस के पत्र का एक ही जवाब आता है कि जांच कमेटी गठित कर दी गई है। फिर दिन, महीने और साल गुजर जाते हैं, लेकिन न तो वह जांच पूरी हो पाती है और न ही जांच रिपोर्ट आ पाती है। ऐसे एक नहीं कई उदाहरण बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर यूनिवर्सिटी और दूसरे विभागों में सामने आए हैं, जिसमें पुलिस ने जहां तक कार्रवाई की, वहीं तक हुई भी। एक भी कदम संबंधित विभाग वाले आगे नहीं बढ़ सके।

 

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