Dehradun: जोशीमठ पर चल रहे वैज्ञानिक अध्ययनों के बीच IIRS का दावा- पनबिजली परियोजनाएं भूस्खलन का कारण नहीं

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Joshimath Sinking: IIRS claims Hydroelectric projects are not the cause of landslides Uttarakhand news

प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : Wikipedia

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जोशीमठ में हुए भूधंसाव को लेकर चल रहे वैज्ञानिक अध्ययनों के बीच देहरादून स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (आईआईआरएस) ने दावा किया है कि पनबिजली परियोजनाएं भूस्खलन का कारण नहीं हैं। संस्थान की ओर से किए गए एक अध्ययन के बाद जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि पनबिजली परियोजनाओं की वजह से इसके आसपास के क्षेत्रों में भूस्खलन कम हुआ है।

अध्ययन में देशभर की नौ परियोजनाओं को शामिल किया गया है। इसमें उत्तराखंड के धौलीगंगा नदी पर बनी जल विद्युत परियोजना भी शामिल है। आईआईआरएस की ओर से रिमोट सेंसिंग और जीआईएस प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाली चालू, निर्माणाधीन हाइड्रो परियोजनाओं में भूस्खलन अध्ययन पर रिपोर्ट तैयार की है।

संस्थान ने नौ नेशनल हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पर अध्ययन किया। इसमें अरुणाचल प्रदेश में सुबनसिरी लोअर, सिक्किम में तीस्ता-5 और रंगित, जम्मू-कश्मीर में सलाल, दुलहस्ती और उरी- द्वितीय, हिमाचल प्रदेश के चमेरा-प्रथम और परबत-द्वितीय, जबकि उत्तराखंड में जोशीमठ में धौलीगंगा पर निर्माणाधीन परियोजना शामिल है।

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