Dehradun: निर्दयी समाज…पालने के बावजूद झाड़ियों में छोड़ रहे नवजात, 17 बच्चों को विदेश में मिली मां की गोद

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Leaving newborns in bushes abandoning cases children are continuously coming to fore in Dehradun Uttarakhand

प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला

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झाड़ियों में एक बच्चा मिला है, एक मां अस्पताल के बाथरूम में नवजात को छोड़ कर चली गई। आए दिन शहर में इस तरह के मामले सुनने को मिलते रहते हैं। यदि कोई बच्चा पालने में असमर्थ है तो वह केदारपुरम स्थित शिशु सदन के बाहर लगे पालने में बच्चे को रखकर जा सकते हैं। हालांकि, लोग इतने निर्दयी हो गए हैं कि वह इतनी जहमत भी उठाने को तैयार नहीं हैं।

बाल आयोग का कहना है कि कोई भी नवजात बच्चों को सड़क पर या झाड़ियों में न छोड़े। ऐसे बच्चों के लिए केदारपुरम में व्यवस्था की गई है। ऐसे परिजनों की पहचान गुप्त रखी जाती है। हालांकि, इसके बावजूद पिछले 10 सालों में मात्र एक बच्चा केदारपुरम स्थित शिशु सदन के बाहर लगे पालने में आया है।

लोग गैर जिम्मेदार हो गए हैं

जबकि, 2016 से 2023 तक 73 बच्चे झाड़ियों, सड़क किनारे या अस्पताल के बाथरूमों में मिल चुके हैं। इनमें कुछ बच्चे अविवाहित लड़कियों के हैं। जिनके परिजनों ने इन बच्चों को बाल कल्याण समिति को सौंप दिया था। राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना का कहना है कि लोग गैर जिम्मेदार हो गए हैं।

यही कारण है कि मासूमों को इस तरह छोड़ दिया जाता है। वहीं, अगर भ्रूण की बात करें तो भ्रूण दो स्थिति में मिलता है। एक तो बेटे की चाहत में बेटी होने पर भ्रूण गिरा देते हैं। दूसरा, जब कोई अविवाहित लड़की गर्भवती हो जाती है तो अप्रशिक्षित डॉक्टर, अप्रशिक्षित दाई की मदद से भ्रूण गिरा दिया जाता है।

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