Dehradun: 50 साल पहले पास आउट सैन्य अफसर फिर पहुंचे IMA, पुराने यादें हुईं ताजा

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पचास साल पहले पासआउट हुए सैन्य अफसर पहुंचे आईएमए

पचास साल पहले पासआउट हुए सैन्य अफसर पहुंचे आईएमए
– फोटो : अमर उजाला

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50 साल पहले भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) देहरादून से पास आउट हुए सैन्य अफसर एक बार फिर आईएमए पहुंचे। इस दौरान उनकी तब और अब की तस्वीरों की यादों को व्यक्तिगत विवरण के साथ बनाकर कॉफी टेबल बुक भी जारी की गई।

शुक्रवार को आईएमए में इन अफसरों का भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान अफसरों ने पुरानी यादें भी साझा कीं। भारतीय सैन्य अकादमी की जन संपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल इशानी मैत्रा ने बताया कि आईएमए से 1972 में 50वें रेगुलर और 34वें टेक्निकल कोर्स में 404 जेंटलमैन कैडेट्स पास आउट हुए थे। जिनमें से 133 सदस्य आईएमए में आयोजित कार्यक्रम में अपने परिवार के साथ शामिल हुए। ये सभी 14 से 16 दिसंबर तक आईएमए में रहे।

उन्होंने बताया कि इस बैच के पास आउट कैडेट्स सेना में द्वितीय लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन हुए। यह रैंक अब सैन्य इतिहास की किताबों तक सीमित है। अब यहां से सीधे लेफ्टिनेंट पास आउट होते हैं। दिसंबर 1972 के इस बैच से भारतीय सेना में 10 लेफ्टिनेंट जनरल, 13 मेजर जनरल और 46 ब्रिगेडियर मिले। बैच के दिग्गजों ने एक वीर चक्र, पांच सेना मेडल (शौर्य), पांच पीवीएसएम, तीन यूवाईएसएम, 24 एवीएसएम, एक वाईएसएम, 29 वीएसएम और 50 से अधिक प्रशस्ति पत्र अर्जित करके अपना साहस साबित किया है।

उन्होंने बताया कि एक अधिकारी मेजर रंजीत मुथन्ना ने श्रीलंका में सेवा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। इस बैच के पांच अधिकारियों को पाकिस्तान, जर्मनी, तुर्की, नाइजीरिया और सऊदी अरब जैसे देशों में डिफेंस अताशे का राजनयिक कार्यभार मिला। इस बैच के 94 सैन्य अफसर इस दुनिया में नहीं रहे।

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50 साल पहले भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) देहरादून से पास आउट हुए सैन्य अफसर एक बार फिर आईएमए पहुंचे। इस दौरान उनकी तब और अब की तस्वीरों की यादों को व्यक्तिगत विवरण के साथ बनाकर कॉफी टेबल बुक भी जारी की गई।

शुक्रवार को आईएमए में इन अफसरों का भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान अफसरों ने पुरानी यादें भी साझा कीं। भारतीय सैन्य अकादमी की जन संपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल इशानी मैत्रा ने बताया कि आईएमए से 1972 में 50वें रेगुलर और 34वें टेक्निकल कोर्स में 404 जेंटलमैन कैडेट्स पास आउट हुए थे। जिनमें से 133 सदस्य आईएमए में आयोजित कार्यक्रम में अपने परिवार के साथ शामिल हुए। ये सभी 14 से 16 दिसंबर तक आईएमए में रहे।

उन्होंने बताया कि इस बैच के पास आउट कैडेट्स सेना में द्वितीय लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन हुए। यह रैंक अब सैन्य इतिहास की किताबों तक सीमित है। अब यहां से सीधे लेफ्टिनेंट पास आउट होते हैं। दिसंबर 1972 के इस बैच से भारतीय सेना में 10 लेफ्टिनेंट जनरल, 13 मेजर जनरल और 46 ब्रिगेडियर मिले। बैच के दिग्गजों ने एक वीर चक्र, पांच सेना मेडल (शौर्य), पांच पीवीएसएम, तीन यूवाईएसएम, 24 एवीएसएम, एक वाईएसएम, 29 वीएसएम और 50 से अधिक प्रशस्ति पत्र अर्जित करके अपना साहस साबित किया है।

उन्होंने बताया कि एक अधिकारी मेजर रंजीत मुथन्ना ने श्रीलंका में सेवा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। इस बैच के पांच अधिकारियों को पाकिस्तान, जर्मनी, तुर्की, नाइजीरिया और सऊदी अरब जैसे देशों में डिफेंस अताशे का राजनयिक कार्यभार मिला। इस बैच के 94 सैन्य अफसर इस दुनिया में नहीं रहे।



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