Dehradun Air Quality: 10 सालों में बदली दून की फिजा, ISBT की हवा सबसे ज्यादा जहरीली

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देहरादून

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– फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो

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इलेक्ट्रिक बसें चलाकर देहरादून महानगर में वायु प्रदूषण रोकने की स्मार्ट सिटी की पहल रंग लाने लगी है। शुरुआती आंकड़े बता रहे हैं कि इलेक्ट्रिक बसों के संचालन से वायु प्रदूषण में राहत मिलने वाली है। दरअसल, देहरादून में पिछले 10 सालों में वायु प्रदूषण काफी बढ़ा है। खासकर आईएसबीटी इलाके में वायु तेजी से जहरीली हुई है। वर्ष 2011 में आईएसबीटी में पीएम 10 का आंकड़ा 138 हुआ करता था, जो अब बढ़कर 180 तक पहुंच रहा है। रायपुर रोड और घंटाघर क्षेत्र में भी वायु प्रदूषण में पिछले 10 सालों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

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राजधानी देहरादून में वायु प्रदूषण का स्तर सामान्य से अधिक हो गया है। वायु प्रदषण को कम करने के लिए जिलाधिकारी सोनिका के आदेश पर प्रदूषण फैलाने वाले वाहन चालकों पर शिकंजा कसा जा रहा है। वायु प्रदूषण के मानक पर खरे न उतरने वाले पुराने वाहनों को चलन से बाहर करने की कवायद चल रही है। परिवहन विभाग डीजल के विक्रमों को बाहर का रास्ता दिखा रहा है। पिछले दिनों बढ़े वायु प्रदूषण से चिंतित जिलाधिकारी सोनिका ने उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिए थे कि वायु गुणवत्ता की दैनिक रिपोर्ट जिला आपदा कंट्रोल रूम को भेजी जाए तथा वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाएं।

यह है पैमाना और हो रहे नुकसान

पीएम 10 को पर्टिकुलेट मैटर कहते हैं। इन कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास का होता है। इसमें धूल, गर्दा और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं। पीएम 10 और 2.5 धूल, वाहनों के धुएं व पराली जलाने से ज्यादा बढ़ता है। पीएम 2.5 हवा में घुलने वाला छोटा पदार्थ है। इन कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। पीएम 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर ही धुंध बढ़ती है, विजिबिलिटी का स्तर भी गिर जाता है। पीएम 10 का सामान्य लेवल 100 माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर (एमजीसीएम) होना चाहिए। पीएम 2.5 का नॉर्मल लेवल 60 एमजीसीएम होता है, इससे ज्यादा होने पर यह नुकसानदायक हो जाता है।

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