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– फोटो : Demo Pic.
कैंसर के मरीजों को जल्द ही लेडी हार्डिंग अस्पताल में एडवांस रेडियोथेरेपी की सुविधा मिल सकेगी। अभी तक इस सुविधा के लिए मरीजों को केंद्र सरकार के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली का रुख करना पड़ रहा है। अस्पताल में कैंसर का विभाग है, लेकिन सुविधा के अभाव में मरीजों को सफदरजंग, एम्स व अन्य अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए लेडी हार्डिंग अस्पताल ने केंद्र सरकार के साथ समझौता किया है।
लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के निदेशक डॉ सुभाष गिरी ने करीब 78 करोड़ रुपये के चिकित्सा उपकरणों की खरीद के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की विशेष सचिव की उपस्थिति में एचएलएल-एचआईटीईएस के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस संबंध में डॉ. सुभाष गिरी ने बताया कि समझौते के तहत कैंसर के मरीजों के उपचार के लिए दो लीनियर एक्सीलेटर मशीन स्थापित की जाएगी। इनके अभाव में मरीजों को रेडियोथेरेपी देने के लिए दूसरे अस्पताल में रेफर किया जाता है।
इसके अलावा कैंसर की पहचान के लिए एक एमआरआई और एक सिटी स्कैन मशीन भी आएगी। उन्होंने कहा कि हमारा अनुमान है कि इस साल में यह सुविधा अस्पताल को मिल जाएगी। लेडी हार्डिंग अस्पताल में सिटी स्कैन व एमआरआई मशीन आने के बाद जांच की गति डबल हो जाएगी। अभी अस्पताल में एक ही मशीन हैं, जो कई बार खराब रहती है। नई मशीन आने के बाद कैंसर के अलावा अन्य विभाग के मरीजों को भी जांच के लिए इंतजार नहीं करना होगा। साथ ही जांच की गति भी बढ़ेगी।
एडवांस है लीनियर एक्सीलेटर मशीन
कैंसर के उपचार में लीनियर एक्सीलेटर मशीन अत्याधुनिक मशीनों में शामिल है। इसके जरिए मरीज के शरीर के प्रभावित भाग पर सीधे रेडियोथेरेपी दी जा सकती है। दिल्ली में अभी यह सुविधा केंद्र सरकार के एम्स अस्पताल में ही मौजूद है। डॉक्टरों की माने तो लेडी हार्डिंग के रेडियोलॉजी विभाग में इन मशीनों को स्थापित किया जा सकता है।
हजारों मरीजों को होगा फायदा
लेडी हार्डिग अस्पताल में कैंसर मरीजों के लिए रेडियोथेरेपी की सुविधा शुरू होने के बाद हजारों मरीजों को फायदा होगा। अस्पताल में विभिन्न विभागों में रोजाना हजारों मरीज आते हैं। इनमें से हर सप्ताह सैंकड़ों मरीजों को कैंसर के लक्षण दिखने के बाद अस्पताल के कैंसर विज्ञान विभाग में भेजा जाता है। जांच के बाद स्पष्ट हो जाने के बाद कैंसर के उपचार के लिए मरीजों को दूसरे अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है। सुविधा शुरू होने के बाद अस्पताल में ही उन्हें सुविधा मिल सकेगी।
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