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दिल्ली हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि कोई पति या पत्नी विवाहेतर संबंध को नजरअंदाज करता है तो बाद में तलाक की कार्यवाही में इसे क्रूरता का कार्य नहीं कहा जा सकता है। अदालत ने केवल क्रूरता के आधार पर तलाक की डिक्री को बरकरार रखते हुए पत्नी की याचिका खारिज कर दी।
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