Delhi : मेट्रो फेज-4 में सूरज से मिलेगी एक करोड़ यूनिट बिजली, रेस्को मॉडल से भी बढ़ रहा है ऊर्जा उत्पादन

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शास्त्री पार्क डिपो...

शास्त्री पार्क डिपो…
– फोटो : अमर उजाला

दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) ने मेट्रो फेज-4 के निर्माणाधीन कॉरिडोर पर सूरज की रोशनी से करीब एक करोड़ यूनिट बिजली पैदा करने की तैयारी कर ली है। तीनों कॉरिडोर से मेट्रो को करीब 10 मेगावाट अतिरिक्त सौर ऊर्जा मिलेगी। दिल्ली-एनसीआर के भीतर मेट्रो नेटवर्क में अभी करीब 47 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। इसका इस्तेमाल मेट्रो खुद करेगी। वहीं, नेटवर्क विस्तार से 2031 में सालाना 57.3 करोड़ घंटे की बचत होगी। इससे सड़कों पर जाम में बर्बाद होने वाले वक्त का लाखों यात्री सदुपयोग कर सकेंगे।

दिल्ली मेट्रो के फेज-4 के तीन कॉरिडोर के 65 किलोमीटर के दायरे में निर्माण चल रहा है। आरके आश्रम-जनकपुरी (पश्चिम), तुगलकाबाद-एयरोसिटी और मौजपुर-मजलिस पार्क कॉरिडोर पर करीब 33% निर्माण पूरा हो चुका है। 2025 तक फेज-4 के काॅरिडोर पर भी मेट्रो सेवाएं शुरू हो जाएंगी। सौर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए मेट्रो स्टेशनों सहित रूफटॉप, पार्किंग और शेड पर सौर उपकरण और संयंत्र लगाए जाएंगे। 

वर्ष 2014 में पर सौर ऊर्जा के लिए द्वारका सेक्टर-21 में 500 किलोवाट सौर ऊर्जा से अक्षय ऊर्जा की तरफ डीएमआरसी ने कदम बढ़ाया। फिलहाल, दिल्ली के 115 स्टेशन परिसरों पर लगे सौर ऊर्जा उपकरणों से 37 जबकि नोएडा से 10 मेगावाट की प्राप्ति हो रही है। मेट्रो फेज-4 के तीनों कॉरिडोर पर मेट्रो स्टेशनों पर 10 मेगावाट अतिरिक्त सौर ऊर्जा के उत्पादन से दिल्ली मेट्रो 60 मेगावाट की उत्पादक हो जाएगी। मेट्रो परिचालन और स्टेशनों की जरूरत पूरा करने में बिजली की कुल खपत का 35% सौर ऊर्जा से पूरा हो रहा है।

रेस्को मॉडल से भी ऊर्जा का बढ़ रहा है उत्पादन 

रिन्यूएबल एनर्जी सर्विस कंपनी (रेस्को) मॉडल के तहत सरकारी भवनों की छत पर सोलर प्लांट लगवाने की शुरुआत की गई है। इसके तहत पहल करने वाली एजेंसी को सब्सिडी नहीं मिलेगी, लेकिन मेट्रो की छतों, पार्किंग पर सोलर संयंत्रों के लिए कुछ खर्च भी नहीं करना होगा।

छह साल में 35.5 लाख कार्बन क्रेडिट से करोड़ों रुपये कमाए

दिल्ली मेट्रो दुनिया की पहली ऐसी सेवा है, जहां ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी से हासिल कार्बन क्रेडिट से कमाई भी हो रही है। इसके चार प्रोजेक्ट को जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसी) के साथ पंजीकृत किया है। इसके तहत पुनर्योजी ब्रेक (रिजेनरेटिव ब्रेकिंग) के अलावा सौर परियोजना से जुड़ी गतिविधियां शामिल हैं। क्योटो प्रोटोकॉल के तहत इसके तहत देशों में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को ग्रीनहाउस गैसों से होने वाले उत्सर्जन को कम कर परियोजनाओं से कार्बन क्रेडिट खरीदने का अवसर देता है। डीएमआरसी ने स्वच्छ विकास तंत्र परियोजनाओं में निवेश कर पिछले छह वर्ष के दौरान 35.5 लाख कार्बन क्रेडिट की बिक्री से 19.5 करोड़ रुपये की आय अर्जित की है।

मेट्रो से सड़कों से लाखों वाहन होंगे कम

वर्ष 2021 में टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट (टेरी) के अध्ययन के मुताबिक स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में पहल और मेट्रो नेटवर्क में बढ़ोतरी से सड़कों से रोजाना पांच लाख वाहन कम हो जाएंगे। इससे निजी वाहनों पर खर्च होने वाले 2.55 लाख टन ईंधन की भी बचत होगी। मेट्रो सेवाओं की बदौलत कार्बन उत्सर्जन में भी सालाना 7.66 लाख टन की कमी आएगी। डीएमआरसी की ओर से अब तक 5,35,150 से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं। इनमें पर्यावरण में ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के साथ ही प्रदूषण को भी कम करने में मदद मिल रही है। 

गतिज ऊर्जा को किया जाता है भंडारित

पुनर्योजी ब्रेक (रिजेनरेटिव ब्रेकिंग) के तहत मेट्रो की रफ्तार कम करने के लिए ब्रेक लगाने से पैदा होने वाली गतिज ऊर्जा को नष्ट होने के बजाय भंडारित कर लिया जाता है। इसका उपयोग जरूरत के मुताबिक बाद में किया जाता है। इससे ऊर्जा की जरूरतें पूरी करने के लिए दूसरे स्रोतों पर निर्भरता कम होती है। ऊर्जा को भंडारित करने के लिए बैटरी, कंप्रेस्ट गैस, सुपर कैपेसिटर सहित दूसरे उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। पुनर्योजी ब्रेक से मेट्रो की सकल ऊर्जा दक्षता में बढ़ोतरी होती है। इस प्रकार से ब्रेक से प्रणाली का जीवनकाल भी अधिक होती है। 

सौर ऊर्जा के स्रोत

  • डीएमआरसी की तरफ से    37 मेगावाट
  • नोएडा से प्राप्त    10 मेगावाट
  • रीवा से प्राप्त    99 मेगावाट

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