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एम्स के बाहर खुले में सोने को मजबूर हैं तीमारदार…
– फोटो : अमर उजाला
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शाम के छह बज गए थे और सर्दी बढ़ने लगी थी। खाना खाने के बाद बिहार के इस्लामपुर निवासी अवधेश सिंह एम्स के गेट नंबर तीन के पास सोने के लिए जगह तलाश रहे थे। पार्किंग फुल हो गई थी और गलियारे में भी जगह नहीं दिखी। सीढ़ी पर भी लोग बैठे हुए थे। परेशान होकर अवधेश सड़क किनारे ही सो गए। यह मामला महज एक बानगी भर है।
दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में उपचार करवाने आए सैकड़ों मरीजों और तीमारदारों पर बढ़ती ठंड कहर बनकर टूट रही है। रातभर खुले आसमान के नीचे समय गुजार रहे तीमारदारों ने बताया कि प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराए गए संसाधन व सुविधाएं पर्याप्त नहीं हैं। शीतलहर से बचने के लिए तीमारदार व मरीजों को पेड़, सीढ़ी, गलियारे, पार्किंग की छत, फुटओवर ब्रिज, अंडरब्रिज व अन्य जगहों का सहारा लेना पड़ा रहा है। जिन लोगों को यहां सोने का मौका नहीं मिल पाता, उन्हें खुले आसमान के नीचे ही रात बितानी पड़ती है।
एम्स के गेट नंबर 3 व मेट्रो स्टेशन के पास, सफदरजंग अस्पताल के इमरजेंसी ब्लॉक के पीछे व गायनी वार्ड के आगे, डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में ब्लड बैंक के पास व इमरजेंसी वार्ड के बाहर और लोकनायक अस्पताल के इमरजेंसी के पीछे व अन्य जगहों पर बड़ी संख्या में मरीज व तीमारदार खुले आसमान के नीचे रात गुजार रहे हैं।
एम्स गेट नंबर तीन के पास (रात 8.30 बजे)
बिहार से आए अवधेश को एम्स के सीएनसी सेंटर में जांच करवानी है। पेट में कैंसर का शक है। इलाज करवाने परिवार से और कोई नहीं आया है। रात गुजारने के लिए इंतजाम नहीं होने से दिक्कत हो रही है। पास में ही युसूफ सराय बस स्टैंड के पास कुछ टेंट बने हुए हैं, लेकिन रात को वहां जगह ही नहीं मिल पाती। ऐसे में कभी अंडरब्रिज में तो कभी मेट्रो के गेट के पास या फिर सड़क पर ही रात गुजारनी पड़ रही है। कहीं जगह नहीं मिली तो एम्स के गेट नंबर 3 के पास पेड़ के नीचे ही रात गुजारनी पड़ रही है। काफी लोग इसी तरह मजबूरी में रात गुजारते हैं।
सफदरजंग अस्पताल का गायनी विभाग के बाहर (रात 8:40 बजे)
गाजियाबाद से बेटी की डिलीवरी करवाने आई आबिदा ने बताया कि दोपहर को अस्पताल में भर्ती करवाया था। डॉक्टरों ने बताया था कि डिलीवरी होने में समय लगेगा। अंदर वार्ड में मरीज के साथ एक व्यक्ति को ही रहने दिया जाता है, जबकि हम पांच लोग आए हुए हैं। वार्ड के साथ में बने गलियारे में जगह नहीं है। आने जाने वाले परेशान करते हैं। बाहर भी लोगों ने पहले ही कब्जा कर लिया है। ऐसे में रात गुजारने के लिए वार्ड के पीछे पेड़ के नीचे ही रहना पड़ रहा है। ठंड में रात गुजारे के लिए सरकारी इंतजाम होते तो राहत मिलती।
डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल, ब्लड बैंक के पास (रात 9 बजे)
पूर्वी दिल्ली निवासी इकरार ने बताया कि दौरा पड़ने के बाद पिता वार्ड में भर्ती हैं। ऊपर वार्ड में एक व्यक्ति को ही रहने की अनुमति है, जबकि देखभाल के लिए साथ में परिवार के चार लोग आए हुए हैं। रात के समय सोने के लिए ब्लड बैंक के सामने जगह नहीं मिल पाती। गैलरी में भी भीड़ हो जाती है। सीढ़ी पर गार्ड सोने नहीं देते। ऐसे में मजबूरन खुले या फिर ओपीडी से आने वाले रास्ते में सोना पड़ता है। कई बाद यहां से हटा दिया जाता है। ठंड से बचने के लिए कोई सरकारी इंतजाम होते तो बेहतर होता।
195 जगह पर हैं रैन बसेरे
दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के महेश ने बताया कि ठंड में बेघरों को बेहतर सुविधा देने के लिए 195 जगहों पर रैन बसेरे बनाए गए हैं। यह सभी रैन बसेरे 24 घंटे खुले हुए हैं। दिल्ली सरकार बेघरों को बेहतर सुविधा देने के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध करवा रही है। लोगों को रैन बसेरे तक पहुंचाने के लिए अभियान चलाया जाएगा। लोगों से भी मदद मांगी जाएगी। यदि कोई सड़क पर सोता हुआ दिखाई देता है तो उसकी सूचना डूसिब को दे सकते हैं। उन्हें तुरंत नजदीक के रैन बसेरे में लेकर जाया जाएगा।
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