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बंदर..
– फोटो : अमर उजाला
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दिल्ली सरकार ने कहा कि सर्जिकल नसबंदी बंदरों पर काम नहीं कर रही है और पेशेवर भी उनके खतरे को नियंत्रित करने में मदद के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। सरकार ने शुक्रवार को यह जानकारी हाईकोर्ट में दी। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार ने केंद्र द्वारा स्वीकृत धनराशि और बंदरों के खतरे को रोकने के लिए खर्च किए गए धन पर राज्य से रिकॉर्ड मांगने वाली एक याचिका पर यह तर्क रखा है।
पीठ ने याचिकाकर्ता शाश्वत भारद्वाज को उच्च न्यायालय के पहले के एक आदेश की एक प्रति रिकॉर्ड पर रखने के लिए कहा जिसमें बंदरों के कारण होने वाली समस्या से निपटने के लिए कुछ निर्देश जारी किए गए थे। पीठ ने मामले की सुनवाई 22 मार्च तय की है। याचिकाकर्ता ने वरिष्ठ नौकरशाहों, वन्यजीव विशेषज्ञों और बार के सदस्यों की एक समिति गठित करने की भी मांग की है, जिन्होंने विशेष रूप से नई दिल्ली के संबंध में उच्च न्यायालय के निर्देशों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए पशु अधिकारों के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि राज्य को इस उद्देश्य के लिए केंद्र से धन प्राप्त हुआ है और बंदर पकड़ने वालों को काम पर रखने के लिए एक निविदा जारी की गई थी, लेकिन कोई आगे नहीं आया। वकील ने तर्क दिया कि बंदरों की सर्जिकल नसबंदी संभव नहीं है और इस तरह के प्रयास देश के कई हिस्सों में सफल नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि बंदरों को कैद में मौखिक गर्भनिरोधक गोलियां दी जाती हैं लेकिन इन गोलियों के अपने दुष्प्रभाव होते हैं।
ट्रांसजेंडरों के रोजगार के मुद्दे पर केंद्र से मांगा जवाब
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सार्वजनिक नियुक्ति में ट्रांसजेंडरों को रोजगार और कोटा देने की मांग संबंधी याचिका पर शुक्रवार को केंद्र से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने एक ट्रांसजेंडर की याचिका पर केंद्र सरकार को पक्ष बनाया है। याची ने ट्रांसजेंडरों के अधिकारों का संरक्षण अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन की भी मांग की है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि विज्ञापित विभिन्न पदों पर उम्मीदवार के पुरुष या महिला होने के लिंग के बारे में एक विशिष्ट आवश्यकता होती है। सरकार के वकील ने कहा कि तब से पोर्टल को अपडेट करने के लिए कदम उठाए गए हैं और अब यह पुरुष, महिला और ट्रांसजेंडर को उम्मीदवारों के विकल्प के रूप में पहचानता है।
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