[ad_1]
धन्वंतरि पूजा का है महत्व
धनतेरस के दिन आरोग्य की प्राप्ति के लिए भगवान धन्वंतरि की पूजन करते हैं. धनवंतरि को आयुर्वेद का प्रवर्तक और देवताओं का वैद्य माना गया है. पारंपरिक मान्यता के अनुसार पृथ्वी लोक में धनवंतरि का अवतरण समुद्र मंथन से हुआ था. शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धनवंतरि, चतुर्दशी को काली माता, अमावस्या को भगवती लक्ष्मी का सागर से प्रादुर्भाव हुआ. इसी कारण दीपावली के दो दिन पूर्व त्रयोदशी को भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती है. भगवान धनवंतरि को हर तरह के रोगों से मुक्ति दिलाने वाला देव माना गया है.
धनतेरस के साथ 5 दिवसीय दीपावली उत्सव की होती है शुरुआत
धनतेरस के साथ ही पांच दिवसीय दीपावली उत्सव की शुरुआत हो जाती है. इस 5 दिवसीय उत्सव में पहले धनतेरस, दूसरा नरक चतुर्दशी, तीसरा दीपावली, चौथा गोवर्धन पूजा और पांचवां भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है. इन पांच दिनों के उत्सव में हर दिन अपना अलग महत्व है.
Dhanteras 2022: धनतेरस के दिन यम दीप जलाने की है परंपरा
धनतेरस के दिन यम के नाम से दीपदान की परंपरा पुरातन काल से चली आ रही है और इस दिन यमराज के लिए आटे का चौमुख दीपक बनाकर उसे घर के मुख्य द्वारा पर रखा जाता है. घर की महिलाएं रात के समय इस दीपक में तेल डालकर चार बत्तियां जलाती हैं. इस दीपक का मुख दक्षिण दिशा की ओर होता है. दीपक जलाते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करके ‘मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्’ मंत्र का जाप किया जाता है.
[ad_2]
Source link