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इन पांच योग में गजकेसरी, हर्ष, उभयचारी, दुर्धरा और धनलक्ष्मी योग हो रहे हैं। वहीं शुक्रवार का दिन व चंद्रमा और शुक्र ग्रह के एक साथ गोचर करने से यह एक अद्भुत संयोग बना रहा है।
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कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन से पांच पर्वों का प्रारंभ होता है जो कि भाईदूज तक चलता है।
इस बार धनतेरस 10 नवंबर को मनाया जाएगा। मान्यता के अनुसार इस दिन देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर उत्पन्न हुए थे। इसलिए इसे धनवंतरि जयंती भी कहा जाता है।
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि, इंद्र, कुबेर, वरुण आदि की पूजा की जाती है। पंडित राकेश शुक्ला ने बताया कि इस वर्ष धन्वंतरि धनतेरस पर पांच विशेष योग होने से यह त्योहार बेहद खास है।
धनतेरस को सुबह सात से 12 बजे तक अभिजीत मुहूर्त विशेष शुभकारी है। दूसरा दोपहर 1:30 से तीन बजे के मध्य है, इस समय में शुभ की चौघड़िया व कुंभ लग्न विद्यमान है।
तीसरा शाम छह बजे से रात नौ बजे के बीच शुभ और अमृत की चौघड़िया व वृष लग्न विद्यमान होगा। यह तीनों समय अवधि खरीदारी के लिए विशेष शुभ होगी।
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