Election 2024: उत्तराखंड के युवाओं को तबाह कर रहा नशा, फिर भी नहीं बना चुनावी मुद्दा; जानें क्या बोले लोग

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Liquor, hashish and smack are not election issues in lok sabha election 2024 Uttarakhand

उत्तराखंड लोकसभा चुनाव 2024
– फोटो : अमर उजाला

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प्रदेश की पांच लोकसभा सीटों पर खड़े किसी भी प्रत्याशी के एजेंडे में नशा है ही नहीं। यह हाल तब है जब उत्तराखंड में  नशे के खिलाफ हुए आंदोलन ने वैश्विक पहचान बनाई थी। 

करीब 40 साल पहले अल्मोड़ा के छोटे से गांव घुंगोली बसभीड़ा (चौखुटिया) से शुरू हुआ ऐतिहासिक नशा नहीं रोजगार दो, काम का अधिकार दो आंदोलन की गूंज ने सभी का ध्यान खींचा था। इसका नेतृत्व उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी के हाथों में था। उस दौर में शराब का विरोध स्थानीय नेताओं के लिए प्रमुख मुद्दा होता था। 1984 में शुरू हुए इस आंदोलन के चेहरे वाहिनी के अध्यक्ष शमशेर सिंह बिष्ट, सचिव पीसी तिवारी, यूकेडी नेता विपिन त्रिपाठी, प्रकाश बिष्ट समेत कई युवा आंदोलनकारी रहे। तब के आंदोलनकारी वर्तमान में उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी बताते हैं कि बसभीड़ा, चौखुटिया, मासी, भिक्यासैंण, सल्ट, स्याल्दे, द्वाराहाट, सोमेश्वर, रामनगर, गैरसैंण, गरमपानी, भवाली, रामगढ़, नैनीताल जैसे क्षेत्रों में आंदोलन का जबर्दस्त प्रभाव रहा। आंदोलन इतना प्रखर हो गया कि आंदोलनकारियों के जत्थों ने नशे के तस्करों के यहां छापे डालने, अवैध मादक पदार्थों के गोदाम ध्वस्त करने और तस्करों का मुंह काला कर बाजार में घुमाना शुरू कर दिया। 

आंदोलन से डर कर नशे के बड़े व्यापारी रामंगा नदी के किनारे भागते देखे गए। 26 मार्च 1984 को शराब नीलामी के दौरान उग्र महिलाओं ने अल्मोड़ा कलक्ट्रेट में सारे सुरक्षा अवरोध ध्वस्त कर दिए। इसके चलते नीलामी रोकनी पड़ी। मई में अल्मोड़ा में सांसद से टकराव के बाद एक दर्जन आंदोलनकारियों पर मुकदमे हुए। मुकदमों के विरोध में जबर्दस्त प्रदर्शन किए गए।

क्या कहते हैं लोगनशा समाज की गंभीर 

समस्या है। जिस उद्देश्य से सरकार ने नशा मुक्त उत्तराखंड अभियान चलाया है। उसे पूरा करने के लिए सख्ती से कदम उठाकर नशे को समाप्त करने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए। -राजीव घई, वरिष्ठ समाजसेवी और केडीएफ अध्यक्ष, काशीपुर

सरकार की नशा मुक्त उत्तराखंड की मुहिम शत प्रतिशत सफल होनी चाहिए। चुनावों में नशा बड़ा मुद्दा बनना चाहिए और इसे उत्तराखंड से पूरी तरह समाप्त किया जाना चाहिए। -आरके अरोरा, वरिष्ठ व्यापारी, काशीपुर

नशे के खिलाफ आंदोलन जारी है। शराब को सामाजिक मान्यता न देने, खलनायकों को नायक न बनाने, उनका महिमामंडन न करने की अपील की जाती रही है। इनकी संपत्ति को सरकार को जब्त करनी चाहिए। -पीसी तिवारी, अध्यक्ष, उपपा

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