Exclusive: उत्तराखंड में व्यवस्था को ‘आइना’ दिखा रही RTE की 13 हजार खाली सीटें, सामने आई दो बड़ी वजह

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शिक्षा का अधिकार

शिक्षा का अधिकार
– फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स

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लचर व्यवस्था के चलते उत्तराखंड में 13 हजार गरीब बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित रह गए। हैरानी की बात है कि विभाग ने प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत प्रवेश के लिए तीन मौके भी दिये। खाली सीटों के पीछे मुख्य वजह विभागीय हीलाहवाली, पलायन और कमजोर वर्ग का आय प्रमाण पत्र न बन पाना माना जा रहा है। अहम बिंदु यह भी है कि वर्ष 2012 में जारी शासनादेश अधिकतम वार्षिक आय 55000 को दस वर्ष बाद भी नहीं बदला गया। 

प्रदेश के 3924 प्राइवेट स्कूलों में गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए इस साल 34362 सीटें आरक्षित हैं। शिक्षा विभाग ने इन सीटों पर पात्र बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिए 21 मार्च से 11 अप्रैल तक आवेदन मांगा। पहली बार में मात्र 17854 बच्चों को लॉटरी से स्कूल आवंटित किया जा सका।

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प्राइवेट स्कूलों की अधिकतर आरटीई कोटे की सीटें फिर भी खाली रह गईं। विभाग ने एक बार फिर छात्र-छात्राओं से ऑनलाइन आवेदन मांगा। दूसरे प्रयास में 2522 बच्चों को स्कूल आवंटित किया गया। नवंबर में तीसरी बार प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश के लिए लॉटरी निकाला गया, लेकिन महज 332 बच्चों को ही स्कूल आवंटित किया जा सका। 

हैरान करने वाली बात यह है कि तीन बार के प्रयास के बाद भी प्राइवेट स्कूलों में आरटीई कोटे की 13654 सीटें खाली रह गईं। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक लोगों के नौकरी एवं अन्य वजह से दूसरी जगह निवास करने व आरटीई के तहत एडमिशन के लिए जरूरी प्रमाण पत्र नहीं होने के कारण ऐसी स्थिति बन रही है। 

अब तीन से चार महीने में कैसे पूरा होगा साल भर का कोर्स 
प्रदेश में इन दिनों आरटीई के तहत बच्चों के प्रवेश की प्रक्रिया चल रही है, जबकि चार महीने बाद एक अप्रैल 2023 से नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो जाएगा। सवाल यह है कि नवंबर और दिसंबर में प्रवेश के बाद महज तीन से चार महीने में गरीब और वंचित वर्ग के बच्चे साल भर का कोर्स कैसे पूरा कर सकेंगे। 

अधिकतम आय की सीमा में संशोधन जरूरी 
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक आय प्रमाण पत्र से संबंधित शासनादेश में संशोधन की जरूरत है। मौजूदा शासनादेश वर्ष 2012 का है, जिसमें कमजोर वर्ग के लिए अधिकतम वार्षिक आय 55000 है। इतनी कम आय के प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहे हैं। इस शासनादेश को संशोधित कर वार्षिक आय एक लाख की जानी चाहिए।   

यह है शिक्षा का अधिकार 
– 6 से 14 साल की उम्र के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है। 
– प्राइवेट स्कूल कम से कम 25 प्रतिशत बच्चों को बिना फीस के एडमिशन देंगे 
– कक्षा एक से आठवीं तक है मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था 

आरटीई : इतनी सीटों में से इतने बच्चों को मिला एडमिशन  
प्रदेश के अल्मोड़ा जिले में आरटीई कोटे की 1597 में से मात्र 924 सीटों पर एडमिशन मिला। जबकि बागेश्वर में 670 में से 248, चमोली में 670 में से 228, चंपावत में 586 में से 457, देहरादून में 5724 में से 5111, हरिद्वार में 7648 में से 2701, नैनीताल में 3186 में से 2253, पौड़ी गढ़वाल में 1794 में से 918, पिथौरागढ़ में 1442 में से 802, रुद्रप्रयाग में 634 में से 112, टिहरी गढ़वाल में 1388 में से 283, ऊधमसिंह नगर में 8225 में से 6170 और उत्तरकाशी जिले में 798 में से 501 सीटों पर गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को एडमिशन मिला।

प्रदेश में आरटीई के तहत सीटें खाली रहने की एक वजह पलायन और आय प्रमाण पत्र सहित जरूरी प्रमाण पत्र न बन पाना है। एडमिशन के लिए निवास का प्रमाण पत्र देना होता है। वहीं अभ्यर्थी जिस क्षेत्र में निवास करता है, उसे उसी क्षेत्र के प्राइवेट स्कूल में प्रवेश की प्राथमिकता दी जाती है।
– डॉ. मुकुल सती, अपर राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा 

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लचर व्यवस्था के चलते उत्तराखंड में 13 हजार गरीब बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित रह गए। हैरानी की बात है कि विभाग ने प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत प्रवेश के लिए तीन मौके भी दिये। खाली सीटों के पीछे मुख्य वजह विभागीय हीलाहवाली, पलायन और कमजोर वर्ग का आय प्रमाण पत्र न बन पाना माना जा रहा है। अहम बिंदु यह भी है कि वर्ष 2012 में जारी शासनादेश अधिकतम वार्षिक आय 55000 को दस वर्ष बाद भी नहीं बदला गया। 

प्रदेश के 3924 प्राइवेट स्कूलों में गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए इस साल 34362 सीटें आरक्षित हैं। शिक्षा विभाग ने इन सीटों पर पात्र बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिए 21 मार्च से 11 अप्रैल तक आवेदन मांगा। पहली बार में मात्र 17854 बच्चों को लॉटरी से स्कूल आवंटित किया जा सका।

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प्राइवेट स्कूलों की अधिकतर आरटीई कोटे की सीटें फिर भी खाली रह गईं। विभाग ने एक बार फिर छात्र-छात्राओं से ऑनलाइन आवेदन मांगा। दूसरे प्रयास में 2522 बच्चों को स्कूल आवंटित किया गया। नवंबर में तीसरी बार प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश के लिए लॉटरी निकाला गया, लेकिन महज 332 बच्चों को ही स्कूल आवंटित किया जा सका। 

हैरान करने वाली बात यह है कि तीन बार के प्रयास के बाद भी प्राइवेट स्कूलों में आरटीई कोटे की 13654 सीटें खाली रह गईं। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक लोगों के नौकरी एवं अन्य वजह से दूसरी जगह निवास करने व आरटीई के तहत एडमिशन के लिए जरूरी प्रमाण पत्र नहीं होने के कारण ऐसी स्थिति बन रही है। 

अब तीन से चार महीने में कैसे पूरा होगा साल भर का कोर्स 

प्रदेश में इन दिनों आरटीई के तहत बच्चों के प्रवेश की प्रक्रिया चल रही है, जबकि चार महीने बाद एक अप्रैल 2023 से नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो जाएगा। सवाल यह है कि नवंबर और दिसंबर में प्रवेश के बाद महज तीन से चार महीने में गरीब और वंचित वर्ग के बच्चे साल भर का कोर्स कैसे पूरा कर सकेंगे। 



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