Exclusive: गोरखपुर में बोले संगीतकार अविनाश नारायण, राग और परिस्थितियों से रचता हूं संगीत

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गायक व संगीतकार अविनाश नारायण

गायक व संगीतकार अविनाश नारायण
– फोटो : अमर उजाला।

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बालीवुड के उभरते पार्श्व गायक व संगीतकार अविनाश नारायण का कहना है कि मैंने संगीत की साधना पढ़ाई के दौरान ही शुरू कर दी थी। किसी से बारीकियां नहीं सीखीं, रियाज ज्यादा करता हूं। राग और परिस्थितियों को अहमियत देता हूं। इससे संगीत में भाव स्वाभाविक रूप से आ जाता है।

गोरखपुर लिटरेरी फेस्ट में शिरकत करने आए अविनाश ने बातचीत में बताया कि चौरंगा फिल्म में मेरे संगीत को काफी सराहा गया। अभी छोटी बजट की फिल्में मिली हैं। बड़े बैनर की तलाश है। अविनाश शहर के शेषपुर मोहल्ले के रहने वाले हैं। अब तक 12 से ज्यादा फिल्मों में धुन बना चुके हैं। चौरंगा फिल्म से उन्हें काफी प्रशंसा मिली। इस फिल्म के सारे गाने उन्होंने लिखे हैं और संगीत भी दिया है। गाने भी गाए हैं।

फिराक गोरखपुरी से है रिश्ता
अविनाश बताते हैं कि मशहूर शायर रघुपति सहाय उर्फ फिराक गोरखपुरी से उनका काफी नजदीकी रिश्ता है। फिराक साहब उनके पिता राज नारायण श्रीवास्तव के फूफा थे। उनके पिता पूर्वोत्तर रेलवे में कर्मचारी थे और राष्ट्रीय स्तर के बॉडी बिल्डर रहे हैं। फिराक साहब ने बचपन में उन्हें खूब खिलाया है। उनके द्वारा दिए गए कपड़े आज भी उनके पास हैं। उनकी यादों के लिए सहेज रखा है।

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बालीवुड के उभरते पार्श्व गायक व संगीतकार अविनाश नारायण का कहना है कि मैंने संगीत की साधना पढ़ाई के दौरान ही शुरू कर दी थी। किसी से बारीकियां नहीं सीखीं, रियाज ज्यादा करता हूं। राग और परिस्थितियों को अहमियत देता हूं। इससे संगीत में भाव स्वाभाविक रूप से आ जाता है।

गोरखपुर लिटरेरी फेस्ट में शिरकत करने आए अविनाश ने बातचीत में बताया कि चौरंगा फिल्म में मेरे संगीत को काफी सराहा गया। अभी छोटी बजट की फिल्में मिली हैं। बड़े बैनर की तलाश है। अविनाश शहर के शेषपुर मोहल्ले के रहने वाले हैं। अब तक 12 से ज्यादा फिल्मों में धुन बना चुके हैं। चौरंगा फिल्म से उन्हें काफी प्रशंसा मिली। इस फिल्म के सारे गाने उन्होंने लिखे हैं और संगीत भी दिया है। गाने भी गाए हैं।

फिराक गोरखपुरी से है रिश्ता

अविनाश बताते हैं कि मशहूर शायर रघुपति सहाय उर्फ फिराक गोरखपुरी से उनका काफी नजदीकी रिश्ता है। फिराक साहब उनके पिता राज नारायण श्रीवास्तव के फूफा थे। उनके पिता पूर्वोत्तर रेलवे में कर्मचारी थे और राष्ट्रीय स्तर के बॉडी बिल्डर रहे हैं। फिराक साहब ने बचपन में उन्हें खूब खिलाया है। उनके द्वारा दिए गए कपड़े आज भी उनके पास हैं। उनकी यादों के लिए सहेज रखा है।



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