[ad_1]

सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला
ख़बर सुनें
विस्तार
पारदर्शिता के दावों के बीच शिक्षा विभाग में नियुक्तियों में मनमानी जारी है। वर्ष 2012 से 2018 के बीच बीएड के आधार पर केंद्रीय अध्यापक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) करने वाले अभ्यर्थियों पर रोक के बावजूद दो को बतौर उर्दू शिक्षक नियुक्ति दे दी गई। ऐसा ही खेल हरिद्वार में हो रहा है। पांच पदों के लिए जारी पात्र सूची में भी ऐसे कई अभ्यर्थी शामिल हैं।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के आदेश के अनुसार वर्ष 2012 से जून 2018 तक बीएड पास अभ्यर्थी सीटीईटी के लिए पात्र नहीं थे। 9 दिसंबर 2021 को उत्तराखंड में भी शिक्षा निदेशालय ने ऐसे अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर रोक लगा दी थी।
Exclusive: उत्तराखंड में 55 प्रोजेक्ट के लिए 894 करोड़ मंजूर, एक साल के भीतर खर्च करना होगा पैसा
इसके बावजूद प्रदेश में बेसिक शिक्षकों की 2648 पदों के लिए हुई भर्ती में ऐसे अभ्यर्थियों को भी शामिल किया गया था और इनमें से कई को नियुक्ति भी मिल गई। इसके अलावा अन्य भर्तियों में भी ऐसे अभ्यर्थी धड़ल्ले से नियुक्ति पा रहे हैं। अब हरिद्वार जिले में सोमवार को पांच पदों के लिए होने वाली भर्ती के लिए ऐसे ही अभ्यर्थियों को भी पात्र माना गया है। विभाग की वेबसाइट पर जारी सूची में इनके नाम भी शामिल हैं। अन्य जिलों में भी ऐसी ही मनमानी हो रही है। उर्दू शिक्षकों के 64 पदों पर हुई भर्ती में भी ऐसे दो लोगों को नौकरी दी गई।
जिले में शिक्षकों के खाली पांच पदों के लिए विभाग ने पात्र अभ्यर्थियों की सूची जारी की है। इन्हें सोमवार को काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया है। जो शिक्षक अपात्र हैं उन्हें नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया जाएगा।
– एसपी सेमवाल, जिला शिक्षा अधिकारी हरिद्वार।
रोक के बावजूद यदि ऐसे अभ्यर्थी भर्ती हो रहे हैं तो यह गलत है। इस मामले में सभी जिलों से रिपोर्ट मंगवाकर कार्रवाई की जाएगी।
– वंदना गर्ब्याल, शिक्षा निदेशक, बेसिक शिक्षा।
[ad_2]
Source link