आयुष्मान योजना के तहत गोल्डन कार्ड पर कैशलेस इलाज के लिए राज्य निगम, बोर्ड और स्वायत्तशासी उपक्रम, निकायों के कर्मचारियों व पेंशनरों के लिए प्रीमियम की दरें समान होंगी। राजकीय कर्मचारियों व पेंशनरों की तर्ज पर कैशलेस इलाज के लिए निगम कर्मियों से प्रीमियम लिया जाएगा, लेकिन निगम कार्मिकों को तीन व छह माह और एक साल का एक मुश्त प्रीमियम जमा करना होगा। पेंशनरों को एक साथ 10 साल का प्रीमियम जमा करने पर आजीवन कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी।
प्रदेश के राजकीय कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए सरकार ने जनवरी 2021 से गोल्डन कार्ड पर कैशलेस इलाज की सुविधा शुरू की थी। इसके बाद सरकार ने निगम, बोर्ड, स्वायत्तशासी उपक्रम, निकायों के कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने के लिए 25 नवंबर 2021 को शासनादेश जारी किया। इसमें यह तय किया गया था कि कैशलेस इलाज के लिए निगम व बोर्ड स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। इसका भुगतान भी निगम की ओर से किया जाएगा। गोल्डन कार्ड के दायरे में आने वाले निगम कर्मचारियों व पेंशनरों से प्रीमिमय की दरें राजकीय कार्मिकों के समान ली जाएगी।
प्रीमियम की दरें कैशलेस इलाज के लिए सरकार ने ग्रेड वेतनमान के हिसाब से चार श्रेणियां तय की है, जिसमें चतुर्थ श्रेणी को प्रति माह 250 रुपये, तृतीय श्रेणी को 450 रुपये, द्वितीय श्रेणी को 650 रुपये और अधिकारियों के लिए एक हजार रुपये प्रति माह प्रीमिमय दरें तय है। इसी हिसाब से निगम और बोर्ड कर्मचारियों से भी प्रीमियम लिया जाएगा।
पोर्टल पर डाटा तैयार, एक जनवरी से बनेंगे कार्ड राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के सीईओ अरुणेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण से उरेडा, महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, गोविंद बल्लभ पंत इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी पौड़ी के कर्मचारियों व पेंशनरों का डाटा स्वीकृत हो चुका है। प्रीमियम जमा करने के लिए इन कर्मचारियों का 1 जनवरी 2023 से गोल्डन कार्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
कर्मचारियों को कैशलेस इलाज देने पीछे उत्तराखंड ऊर्जा निगम लिमिटेड, पेयजल एवं निर्माण निगम, उत्तराखंड वन विकास निगम, उत्तराखंड परिवहन निगम, गढ़वाल मंडल विकास निगम, कुमाऊं मंडल विकास निगम, जल संस्थान समेत अन्य निकाय, बोर्ड और सरकार के स्वायत्तशासी उपक्रमों में कार्यरत कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों का डाटा राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण को प्राप्त नहीं हुआ है।
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आयुष्मान योजना के तहत गोल्डन कार्ड पर कैशलेस इलाज के लिए राज्य निगम, बोर्ड और स्वायत्तशासी उपक्रम, निकायों के कर्मचारियों व पेंशनरों के लिए प्रीमियम की दरें समान होंगी। राजकीय कर्मचारियों व पेंशनरों की तर्ज पर कैशलेस इलाज के लिए निगम कर्मियों से प्रीमियम लिया जाएगा, लेकिन निगम कार्मिकों को तीन व छह माह और एक साल का एक मुश्त प्रीमियम जमा करना होगा। पेंशनरों को एक साथ 10 साल का प्रीमियम जमा करने पर आजीवन कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी।
प्रदेश के राजकीय कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए सरकार ने जनवरी 2021 से गोल्डन कार्ड पर कैशलेस इलाज की सुविधा शुरू की थी। इसके बाद सरकार ने निगम, बोर्ड, स्वायत्तशासी उपक्रम, निकायों के कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने के लिए 25 नवंबर 2021 को शासनादेश जारी किया। इसमें यह तय किया गया था कि कैशलेस इलाज के लिए निगम व बोर्ड स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। इसका भुगतान भी निगम की ओर से किया जाएगा। गोल्डन कार्ड के दायरे में आने वाले निगम कर्मचारियों व पेंशनरों से प्रीमिमय की दरें राजकीय कार्मिकों के समान ली जाएगी।
कैशलेस इलाज के लिए सरकार ने ग्रेड वेतनमान के हिसाब से चार श्रेणियां तय की है, जिसमें चतुर्थ श्रेणी को प्रति माह 250 रुपये, तृतीय श्रेणी को 450 रुपये, द्वितीय श्रेणी को 650 रुपये और अधिकारियों के लिए एक हजार रुपये प्रति माह प्रीमिमय दरें तय है। इसी हिसाब से निगम और बोर्ड कर्मचारियों से भी प्रीमियम लिया जाएगा।
पोर्टल पर डाटा तैयार, एक जनवरी से बनेंगे कार्ड
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के सीईओ अरुणेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण से उरेडा, महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, गोविंद बल्लभ पंत इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी पौड़ी के कर्मचारियों व पेंशनरों का डाटा स्वीकृत हो चुका है। प्रीमियम जमा करने के लिए इन कर्मचारियों का 1 जनवरी 2023 से गोल्डन कार्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
कर्मचारियों को कैशलेस इलाज देने पीछे
उत्तराखंड ऊर्जा निगम लिमिटेड, पेयजल एवं निर्माण निगम, उत्तराखंड वन विकास निगम, उत्तराखंड परिवहन निगम, गढ़वाल मंडल विकास निगम, कुमाऊं मंडल विकास निगम, जल संस्थान समेत अन्य निकाय, बोर्ड और सरकार के स्वायत्तशासी उपक्रमों में कार्यरत कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों का डाटा राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण को प्राप्त नहीं हुआ है।