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यह हाल तब है, जब मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशियलिटी सेवा की शुरुआत की जा चुकी है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन का कहना है कि इमरजेंसी में न्यूरो के एक ही डॉक्टर की ड्यूटी है। इसके अलावा सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में अभी इमरजेंसी सेवा शुरू नहीं हो पाई है। इस वजह से गंभीर मरीजों को लखनऊ के लिए रेफर करना पड़ जाता है।
बदल रहे मौसम में न्यूरो से संबंधित मरीजों की संख्या बढ़ रही है। जिला अस्पताल से लेकर मेडिकल कॉलेज तक में हर दिन आठ से 10 मरीज पहुंच रहे हैं। न्यूरो मेडिसिन डॉ अनुराग सिंह ने बताया कि ठंड के मौसम में पैरालाइसिस के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है।
ऐसे में ज्यादा सावधानी की जरूरत होती है। जिला अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ रोहित गुप्ता ने बताया कि ठंड का मौसम दिल के रोगियों के लिए भी खतरनाक हो जाता है। ऐसे रोगियों को इस मौसम में न्यूरो संबंधित खतरा ज्यादा होता है।
शहर के रहने वाले शुमशुद्दीन (56) को शुक्रवार को अचानक पैरालाइसिस (लकवा) मार दिया। परिजन उन्हें लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड पहुंचे। चिकित्सकों ने प्रारंभिक इलाज करके मरीज को हायर सेंटर केजीएमयू और एसजीपीजीआई रेफर कर दिया। अब मरीज का इलाज केजीएमयू में चल रहा है।
केस-दो
बिहार के बगहा के रहने वाले रामसुभग (53) को न्यूरो संबंधित दिक्कत थी। परिजन इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर लेकर आए। लेकिन डॉक्टरों ने लखनऊ हायर सेंटर रेफर कर दिया। अब परिजन शहर के एक निजी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं।
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