Gorakhpur Mahotsav 2023: भोजपुरी नाइट में लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने दी प्रस्तुति, तस्वीरों में देखें एक झलक

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सर्द हवाओं और कोहरे के बीच लोक गायिका मालिनी अवस्थी के भोजपुरी गीतों ने लोगों को गर्मी का एहसास करा दिया। मौका था गोरखपुर महोत्सव के भोजपुरी नाइट का, जहां मालिनी के गीतों पर लोग देर रात तक झूमते रहे। कार्यक्रम की शुरुआत मालिनी ने गुरु गोरक्षनाथ की स्तुति ‘शिव स्वरूप बाबा गोरखनाथ, नाथो के नाथ जगवा में कइलें अंजोर’ से की। इसके बाद उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का गुणगान करते हुए राम जन्म का सोहर ‘राजा दशरथ जी के घरवा आज जन्में ललनवा… गाकर लोगों को खूब झूमाया।

 

गाने के क्रम को आगे बढ़ाते हुए मालिनी ने ‘रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे’… गाया और उन महिलाओं को मंच पर बुलाया, जिनके पति शहर के बाहर रहते हैं। इस गाने पर उन्होंने महिलाओं के साथ जमकर नृत्य किया। भगवान शिव की स्तुति करते हुए ‘औघड़ होली खेले मसाने में’… गाना गया। इस गाने के बाद मालिनी ने सांसद और अभिनेता रवि किशन को मंच पर बुलाया और उनसे भगवान शिव का जयघोष करवाया। ‘ननदी दीया जला द’… गाने के बाद कार्यक्रम का समापन उन्होंने फगुआ गीत ‘तनी सुते दा बलमवा अखियां भईल लाल’… और ‘होली खेले रघुवीरा अवध में… गीत से किया।

 

असित के फिल्मी गीतों पर झूमे युवा

गोरखपुर महोत्सव के दूसरे दिन के बॉलीवुड नाइट में बॉलीवुड गायक असित त्रिपाठी के जोशीले फिल्मी गानों ने युवाओं को देर शाम तक झूमने पर मजबूर कर दिया। गाने की शुरुआत उन्होंने ‘बुलया’ गीत से की और ‘दिल दिया गल्लां’ से उसे आगे बढ़ाया। उसके बाद तो माहौल में पूरी तरह उल्लास भर गया। श्रोताओं का उत्साह देख असित ने ‘मेरे सपनों की रानी’ और ‘गुलाबी आंखें जो तेरी देखी’ गीत सुनाया तो लोग उनके साथ गुनगुनाने लगे।

‘बचना ऐ हसीनों’, ‘जानू मेरी जान’ और ‘जुम्मा-चुम्मा दे दे’ से असित गीतों के सिलसिले को आगे बढ़ाते गए और लोग शोर मचाकर उनका साथ देते गए। असित ने मंच से जब ‘लालीपाप लागेलू’ सुनाया तो कुछ युवा नृत्य करके उनका साथ देने लगे। ‘आई एम ए डिस्को डांसर’, ‘जीने के हैं चार दिन बाकी है बेकार दिन’ और ‘खइके पान बनारस वाला’ जैसे गीतों को सुनाकर उन्होंने गीतों के सिलसिले को विराम दिया।

 

‘मोरे अंगना एगो नेबुआ के गछिया, नेबुआ फरेला झोपेदार’

गोरखपुर महोत्सव के अंतर्गत आयोजित लोकरंग में बृहस्पतिवार को स्थानीय कलाकारों ने लोकगीत, नृत्य और बॉलीवुड गीतों पर बेहतरीन प्रस्तुति देकर समा बांध दिया। लोक गायिका चेता सिंह ने लोकगीत ‘मोरे अंगना एगो नेबुआ के गछिया, नेबुआ फरेला झोपेदार’ सुनाकर वाहवाही लूटी। लोक गायक बृजकिशोर त्रिपाठी ‘गुलाब’ ने ‘मन के अंधेरिया, अजोरवा से पूछे’ और जगदीश त्रिपाठी ने ‘कब अईबा सजना, उदास मोर अंगनवा’ गीत सुनाकर मंत्रमुग्ध किया। प्रभाकर शुक्ला ने ‘भोर के किरिनिया, नियन दमकेला बदनिया हो’ गीत के माध्यम से दर्शकों को झूमने पर विवश किया।

 

सूरज मिश्रा ब्यास ने ‘नाथों के नाथ हईं बाबा गोरखनाथ’, विजय शंकर विश्वकर्मा ने ‘हवे खिचड़ी के मेला मशहूर भाईजी’, सुनाकर माहौल में भक्ति की मिठास घोली। मनोज मधुर ने ‘परदेशिया के बिना रहलो न जाला’ गीत प्रस्तुत किया। सुशीला उपाध्याय ने ‘खोली के केवड़िया धनिया झांकेली दुवरिया’, बृजबिहारी दुबे ने ‘जहां गंगा जमुना के निर्मल धार’ गीत के माध्यम से उपस्थित दर्ज कराई।

पिंटू प्रतिम ने ‘पियवा गइले कलकत्ता’, रंजना श्रीवास्तव ने ‘का सखी आपन बताई, बलम अंग्रेजी बोले’ गीत से दर्शकों को मुग्ध कर दिया। रंजना राय ने ‘रंगी सारी गुलाबी चुनरिया’ गीत सुनाया। इस दौरान प्रतिभागियों को महोत्सव समिति की ओर से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के आयोजन में लोक गायक राकेश श्रीवास्तव, हरि प्रसाद सिंह, शरदमणि, डॉ. मनोज गौतम, त्रिपुरारी मिश्रा, उत्तम मिश्रा, सुबोध श्रीवास्तव, अखिलेश मिश्रा आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

 



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