मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) में बीते कई वर्षों से फर्जी दस्तावेज पर विद्यार्थियों को दाखिला दिलाने वाला गिरोह सक्रिय है। इसमें विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी के अलावा बाहरी एजेंट भी शामिल बताए जा रहे हैं। अब इसकी जांच एक समिति करेगी।
विश्वविद्यालय के प्रबंध बोर्ड ने फर्जीवाड़ा कर प्रवेश लेने वाले छात्रों के अलावा इस कार्य में लिप्त विश्वविद्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को चिह्नित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी का प्रारूप बनाया गया है। जांच की शुचिता बनाए रखने के लिए कमेटी में विश्वविद्यालय से बाहर के लोगों को सदस्य बनाया जाएगा।
इसमें एक सदस्य राज्यपाल की ओर से नामित कुलपति स्तर के होंगे। अन्य दो सदस्य उच्च शिक्षा व तकनीकी शिक्षा के प्रमुख सचिवों की ओर से नामित किए जाएंगे। सदस्य नामित करने के लिए विश्वविद्यालय ने राजभवन व सचिवालय को पत्र भेज दिया है। साथ ही मौखिक रूप से भी बता दिया गया है।
बीटेक में प्रवेश के लिए अलग-अलग कमेटियां बनाई गईं थीं। इन कमेटियों में शामिल शिक्षकों के सामने दस्तावेज का सत्यापन किया जाना था। जितने भी फर्जी प्रवेश हुए हैं, उनका सत्यापन करने वाले शिक्षक व कर्मचारी संदेह के घेरे में हैं। जांच के दायरे में वे शिक्षक भी आ सकते हैं, जिनकी दस्तखत से प्रवेश प्रक्रिया पूरी की गई है।
छात्रों को दिया गया तीसरा मौका विश्वविद्यालय प्रशासन ने फर्जीवाड़ा कर प्रवेश लेने वाले 40 विद्यार्थियों को दो बार दस्तावेज उपलब्ध कराने का अवसर दिया था, लेकिन किसी ने इसे उपलब्ध नहीं कराया। अब एक और मौका दिया गया है। कुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने बताया कि अगर कोई साक्ष्य विद्यार्थियों के पास है, तो 25 जनवरी तक उपलब्ध करा सकते हैं। जांच में उसे भी शामिल किया जाएगा।
2017-18 व 2018-19 बैच की भी होगी जांच विश्वविद्यालय के प्रबंध बोर्ड ने सोमवार को हुई बैठक में तय किया कि 2017-18 व 2018-19 बैच के छात्रों की प्रवेश प्रक्रिया की भी जांच कराई जाएगी। अब तीन सदस्यीय कमेटी इन सत्रों में प्रवेश की जांच करेगी।
एमएमएमयूटी के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने बताया कि बीटेक की कक्षाओं में वर्ष 2021 व 2022 के दो सत्र के 40 छात्रों का प्रवेश फर्जी दस्तावेज के आधार पर लिया गया था। विश्वविद्यालय के अकादमिक काउंसिल की संस्तुति पर प्रबंध बोर्ड ने इनके प्रवेश को निरस्त कर दिया है।
इन छात्रों के खिलाफ विधिक कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है। बीते तीन अन्य सत्र में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्रवेश लेने वाले छात्रों का पता लगाने के लिए भी कमेटी कार्य कर रही है। सारे मामले से शासन को अवगत कराया गया है। इस मामले विवि के लोगों की भूमिका भी संदिग्ध है। सभी जांच के दायरे में आएंगे।
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मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) में बीते कई वर्षों से फर्जी दस्तावेज पर विद्यार्थियों को दाखिला दिलाने वाला गिरोह सक्रिय है। इसमें विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी के अलावा बाहरी एजेंट भी शामिल बताए जा रहे हैं। अब इसकी जांच एक समिति करेगी।
विश्वविद्यालय के प्रबंध बोर्ड ने फर्जीवाड़ा कर प्रवेश लेने वाले छात्रों के अलावा इस कार्य में लिप्त विश्वविद्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को चिह्नित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी का प्रारूप बनाया गया है। जांच की शुचिता बनाए रखने के लिए कमेटी में विश्वविद्यालय से बाहर के लोगों को सदस्य बनाया जाएगा।
इसमें एक सदस्य राज्यपाल की ओर से नामित कुलपति स्तर के होंगे। अन्य दो सदस्य उच्च शिक्षा व तकनीकी शिक्षा के प्रमुख सचिवों की ओर से नामित किए जाएंगे। सदस्य नामित करने के लिए विश्वविद्यालय ने राजभवन व सचिवालय को पत्र भेज दिया है। साथ ही मौखिक रूप से भी बता दिया गया है।