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                        रामगढ़ताल में गिर रहा गंदा पानी।
                                    – फोटो : अमर उजाला। 
                    
विस्तार
करोड़ों लोगों की आस्था की प्रतीक राप्ती नदी और मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल रामगढ़ताल में आज भी नाले और नालियों का गंदा पानी गिर रहा है। जबकि, इसे शुद्ध करने में करोड़ों रुपये खर्च कर दिए गए हैं। रामगढ़ताल में तो अभी सीवर लाइन का काम भी पूरा नहीं हो सका है। वहीं, राप्ती नदी में ही करीब साढ़े सात करोड़ लीटर गंदा पानी गिर रहा है। यह समय भी संक्रामक बीमारियों का है। ताल में गंदा पानी गिरता रहेगा तो मच्छर बढ़ेंगे ही, लोगों के बीमार होने का खतरा भी बना रहेगा।
एनजीटी ने जुर्माने की कार्रवाई के पीछे भी यही तर्क दिया था कि राप्ती नदी और रामगढ़ताल में गिर रहा गंदा पानी जापानी इंसेफेलाइटिस की वजह बन सकता है। रामगढ़ताल में आरकेबीके से लेकर पैड़लेगंज तक 18 नालों का पानी सीधे गिर रहा है। यहां सीवर लाइन बिछाकर उसे सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा जाना है। लेकिन, सीवर लाइन बिछाने का काम भी 70 फीसदी ही हो सका है।
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इसी तरह शहर के नौ बड़े नालों और 18 छोटी नालियां के मार्फत घरों से गंदा पानी राप्ती नदी को मैला कर रहा है। एनजीटी की सख्ती के बाद नालियों के पानी को बायोरिमेडिएशन से शोधित करके गिराया जाने लगा। इस विधि में ब्लॉक बनाकर बैक्टीरिया डाल देते हैं जो पानी को साफ करते रहते हैं। लेकिन, अब पानी के शोधन की यह प्रक्रिया भी नियमित की जाती है।
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