नेपाल बॉर्डर की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ग्राम सुरक्षा समितियों के साथ ही आम नागरिकों की भी मदद ली जाएगी। प्रदेश सरकार के आदेश पर पुलिस नेपाल से सटे सात जिलों में ग्राम सुरक्षा समितियों का गठन कर चुकी है।
अब एडीजी ने पुलिस अफसरों के साथ बैठक कर आम लोगों की मदद मांगने की रणनीति तैयार की है। हर गांव में 10 लोगों की टोली तैयार की गई है, जो हर गलत गतिविधि की जानकारी पुलिस तक पहुंचाएंगे। पुलिस उनसे संपर्क में रहेगी।
जानकारी के मुताबिक, एडीजी जोन गोरखपुर अखिल कुमार ने इसे कवच नाम दिया है। इसके तहत पुलिस काम करेगी। दरअसल, एडीजी जोन को इसका नोडल अधिकारी बनाया गया है। ग्राम सुरक्षा समिति में भूतपूर्व सैनिक या सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।
उत्तर प्रदेश के महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर खीरी और पीलीभीत जिले से नेपाल की 570 किलोमीटर सीमा लगी है। दोनों देश में आने जाने के लिए सोनौली, खूंनवा, रुपईडीहा के अलावा 300 से अधिक पगडंडियां हैं, जिससे होकर लोग आते-जाते हैं।
इन रास्तों से देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त लोगों के घुसपैठ करने व तस्करी की संभावना बनी रहती हैं। इसे देखते हुए ग्राम सुरक्षा समिति और अब आम लोगों की मदद ली जा रही है। हर छोटी बड़ी आपराधिक घटना की जानकारी देना इनकी जिम्मेदारी होगी।
गांव में किसी भी बाहरी व्यक्ति के आने की।
गांव में किसी के द्वारा कोई आपराधिक कृत्य करने की।
मादक पदार्थों के आवाजाही की।
देश विरोधी गतिविधि में किसी के भी संलिप्तता की।
जिलों में गठित की गई हैं समितियां
अभियान के पहले चरण में ग्राम सुरक्षा समितियां गठित की गई थी। इसके तहत महराजगंज में 219, सिद्धार्थनगर में 443, बलरामपुर में 24, श्रावस्ती में 115, बहराइच में 85, खीरी में 77, पीलीभीत में 17 समितियां गठित हो चुकी हैं।
पगडंडियों पर बढ़ाई गई गश्त पगडंडी के रास्ते भारत में आने और यहां से जाने वालों पर एसएसबी, खुफिया एजेंसियों के अलावा स्थानीय पुलिस भी नजर रख रही है। एडीजी के निर्देश पर नेपाल सीमा से सटे थानों की पुलिस अपने क्षेत्र में एसएसबी के साथ पेट्रोलिंग कर रही है। जिसकी रोजाना रिपोर्ट बनती है।
एडीजी गोरखपुर जोन अखिल कुमार ने कहा कि सीमावर्ती जिलों के एसपी के साथ बैठक कर रणनीति बना ली गई है। इसके तहत काम भी शुरू कर दिया गया है। गांवों वालों से पुलिस लगातार संपर्क में रहकर घुसपैठ, अपराध रोकने पर प्रभावी कार्रवाई करेगी।
विस्तार
नेपाल बॉर्डर की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ग्राम सुरक्षा समितियों के साथ ही आम नागरिकों की भी मदद ली जाएगी। प्रदेश सरकार के आदेश पर पुलिस नेपाल से सटे सात जिलों में ग्राम सुरक्षा समितियों का गठन कर चुकी है।
अब एडीजी ने पुलिस अफसरों के साथ बैठक कर आम लोगों की मदद मांगने की रणनीति तैयार की है। हर गांव में 10 लोगों की टोली तैयार की गई है, जो हर गलत गतिविधि की जानकारी पुलिस तक पहुंचाएंगे। पुलिस उनसे संपर्क में रहेगी।
जानकारी के मुताबिक, एडीजी जोन गोरखपुर अखिल कुमार ने इसे कवच नाम दिया है। इसके तहत पुलिस काम करेगी। दरअसल, एडीजी जोन को इसका नोडल अधिकारी बनाया गया है। ग्राम सुरक्षा समिति में भूतपूर्व सैनिक या सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।
उत्तर प्रदेश के महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर खीरी और पीलीभीत जिले से नेपाल की 570 किलोमीटर सीमा लगी है। दोनों देश में आने जाने के लिए सोनौली, खूंनवा, रुपईडीहा के अलावा 300 से अधिक पगडंडियां हैं, जिससे होकर लोग आते-जाते हैं।
इन रास्तों से देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त लोगों के घुसपैठ करने व तस्करी की संभावना बनी रहती हैं। इसे देखते हुए ग्राम सुरक्षा समिति और अब आम लोगों की मदद ली जा रही है। हर छोटी बड़ी आपराधिक घटना की जानकारी देना इनकी जिम्मेदारी होगी।