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पहाड़ों से चल रही सर्द पछुआ हवा के चलने और थमने से गुरुवार को मौसम का मिजाज बदल गया। रिमझिम ओस की बारिश ने लोगों की कंपकंपी छुड़ा दी। वहीं बुधवार दिन में हवा बंद होने और कुछ समय के लिए सूरज निकलने से जहां अधिकतम पारा मंगलवार की तुलना में दो डिग्री ऊपर चढ़ा वहीं ठंड से भी थोड़ी राहत मिली। मगर शाम होते ही हवा शुरू होने के साथ ही गलन भी बढ़ती चली गई और लोग हाड़ कंपाती ठंड से बेहाल हो उठे। एक से दो दिन में आसमान साफ होने से धूप निकलने की उम्मीद है, जिससे ठंड से भी थोड़ी राहत मिलेगी। हालांकि न्यूनतम पारा नीचे खिसकेगा।
मंगलवार को अधिकतम पारा 11.5 था जो बुधवार को बढ़कर 13.6 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। इसी तरह न्यूनतम पारा लगातार दूसरे दिन 7.3 डिग्री सेल्सियस पर बरकरार रहा। बुधवार की सुबह तो रोज की तरह सर्द रही लेकिन दिन चढ़ने के साथ ही जैसे-जैसे पारा चढ़ा ठंड से थोड़ी राहत मिली।
वायुमंडल में व्याप्त कोहरे की परतों को चीरते हुए थोड़ी देरे के लिए सूरज की किरणें भी जमीन तक पहुंचने में सफल रहीं। साथ ही पहाड़ों से चल रही सर्द पछुआ हवा के थमने से ठंड थोड़ी कमजोर पड़ी मगर चार बजते ही फिर सर्द पछुआ हवा शुरू हो गई और गलन बढ़ने का सिलसिला शुरू हो गया। रात आठ बजे तक ठंड काफी बढ़ गई। रात नौ बजते-बजते अधिकांश सड़कों पर सन्नाटा छा गया।
मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक पश्चिमोत्तर में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो गया है जिससे पहाड़ों पर बारिश होने की उम्मीद है। बारिश होते ही पछुआ हवा का वेग बढ़ने से यहां के वायुमंडल में जमा कोहरा भी छंटेगा और सूरज की किरणें पूरी तरह से जमीन तक पहुंच सकेंगी।
गोरखधाम 13:25 और वैशाली 10 घंटे की देरी से आई
घने कोहरे के चलते बुधवार को भी ट्रेनें देर से आईं। सुबह आने वाली वैशाली एक्सप्रेस रात पौने आठ बजे और गोरखधाम एक्सप्रेस रात करीब 11 बजे पहुंची। कड़ाके की ठंड में ट्रेन के इंतजार में यात्री ठिठुर गए। गोरखधाम एक्सप्रेस के विलंब से आने का सिलसिला लगातार जारी है। बुधवार को यह ट्रेन 13:25 घंटे की देरी से तथा वैशाली एक्सप्रेस 10 घंटे की देरी से आई। इसके अलावा अवध एक्सप्रेस छह घंटे की देरी से तथा सप्तक्रांति एक्सप्रेस 2:40 घंटे की देरी से आई।
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