Grah Dosh: दिशाओं का ग्रहों से क्या है संबंध, जानें अगर कुंडली में बृहस्पति हो खराब तो कैसे होगा इसका निवारण

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Grah Dosh: अगर कुंडली में बृहस्पति शुभ न हो, तो अपने व्यवहार और जिह्वा पर नियंत्रण रखना चाहिए. खीज, चिड़चिड़ाहट, झुंझलाहट व असत्य वचन से मीलों दूर रहना चाहिए. ऐसे लोगों को बहुत सोच-समझ कर वक्तव्य देना चाहिए. अनीति पूर्ण आचरण, स्वभाव में क्रूरता, किसी के अपमान और झूठी गवाही से बचना आवश्यक है. गुरुवार को चना, दाल, बेसन के लड्डू और केले का दान तथा मस्तक, नाभि और जिह्वा पर केसर मिश्रित जल ले लेपन और खाने में केसर का प्रयोग उत्तम फल प्रदान करता है, ऐसा मान्यताएं कहती हैं.

मिथुन राशि के चिन्ह दो सिर का व्यक्ति क्या एक ही व्यक्ति में अच्छाई और बुराई का प्रतीक है?

इनके चिन्ह दो सिर उनकी अपार बौद्धिक और मानसिक क्षमता का प्रतिनिधित्व करते हैं. अलौकिक शक्ति और ऊर्जा से सराबोर होते हैं. इनके विचार मौलिक और मन बहुत कोमल होता है. मिथुन राशि वायु तत्व की राशि है. इस राशि में मृगशीर्ष के दो चरण, आर्द्रा के चारों चरण और पुनर्वसु के तीन चरम शामिल हैं. ये जोखिम उठाने वाले, जिज्ञासु, प्रेमी, साहसी, अधीर और दयालु होते हैं. नयी बातें ये बहुत जल्दी सीख लेते हैं. इनकी पसंद-नापसंद बदलती रहती है. इनका व्यक्तित्व बहिर्मुखी नहीं होता, फिर भी ये विशिष्ट समूह में ख्याति अर्जित करते हैं. दूसरों के कारण या गलत फैसले से बड़ी आर्थिक क्षति होती है. इन्हें साहित्य, कला और संगीत में गहरा लगाव होता है. ये जीवन के कुछ काल खंड में बहुत अधिक भ्रमण करते हैं. ये धनी, संपन्न और प्रभावशाली लोगों में शुमार होते हैं.

क्या दिशाओं और ग्रहों का परस्पर कोई संबंध है?

वास्तु के नियमों के अनुसार, पूर्व दिशा का संबंध सूर्य से है. वहीं आग्नेय का शुक्र से. दक्षिण का मंगल से, नैऋत्य का केतु से, पश्‍चिम का शनि से, वायव्य का चंद्र से, उत्तर का बुध से और ईशान्य का संबंध गुरु से है. गृह का द्वार अगर दक्षिण के मध्य में हो तो इसका स्वामी मंगल होने से देह में खून की समस्या व खून के आपसी रिश्तों में तनाव होता है. इसे यम की दिशा भी कहा गया है. अन्य वास्तु दोष होने पर यह दिशा कष्ट में वृद्धि करती है, परंतु अगर शेष वास्तु ठीक है, तो यह दिशा राजनैतिक लाभ का कारण भी बनती है.

किस दिन पैदा हुए लोगों में आकर्षण ज्यादा होता है?

शुक्रवार को जन्मे लोगों में बला की कशिश होती है. इन पर शुक्र पूर्ण प्रभाव होता है. ये लोग सशक्त, आकर्षक और कलाप्रेमी होते हैं. इनका सौंदर्य बोध गजब का होता है. इनमें विपरीत लिंगियों के प्रति गहरी कशिश और उन्हें आकर्षित करने की अद्भुत क्षमता होती है. इनकी कामेच्छा अन्य लोगों से अधिक होती है. इनका मध्य के बाद का जीवन ऐश्वर्य पूर्ण होता है. ये अपने कर्म के द्वारा स्वयं को निखार कर उच्च स्तरीय जीवन जीते हैं. ये दोस्तों को बहुत स्नेह देते हैं और विरोधियों को भी ये मित्र बनाने की कला में प्रवीण होते हैं. ये कई विधाओं में कुशल होते हैं. इनकी वक्तृत्व क्षमता कमाल की होती है.

ये लोग होते हैं ऐश्वर्यशाली और प्रभावशाली

कुछ ऐसे नक्षत्र हैं, जिनमें उत्पन्न संतान भाग्यशाली और धनवान होती है. इन विशेष नक्षत्रों में पैदा हुए लोग ऐश्वर्यशाली, प्रभावशाली और संपदा के मालिक होते हैं. दरअसल, इन कुछ विशेष नक्षत्रों में जन्मे लोगों की मानसिक भमता और मस्तिष्क संरचना अन्य लोगों से भिन्न होती है. इनकी दूरदृष्टि, इनका व्यक्तित्व, इनका मानसिक संतुलन, इनकी संघर्ष क्षमता, इनके रूप-रंग का आकर्षण सामान्य लोगों से अलग होता है. ऐसे लोग जीवन में आसानी से सफलता के शिखर को चूमते चले जाते हैं. यदि वह नक्षत्र कुछ विशेष पर्वया विशिष्ट योगों में आते हैं, तो इनका महत्व कई गुना बढ़ जाता है. अक्तूबर, नवंबर और दिसंबर माह में इन नभत्रों के प्रभाव में वृद्धि हो जाती है.

उपाय- जो जीवन बदले प्रात: काल मिश्री खाकर घर से बाहर निकलने से वाणी में मधुरता आती है और मधुर वाणी आपको सफलता के करीब ले जाती है, ऐसा पारंपरिक अवधारणायें मानती हैं.

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