Hamirpur News: हमीरपुर से मंत्री पद की दौड़ में लखनपाल और राणा शामिल

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इंद्रदत्त लखनपाल, राजेंद्र राणा।

इंद्रदत्त लखनपाल, राजेंद्र राणा।
– फोटो : संवाद

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जिला हमीरपुर से मुख्यमंत्री बनने के बाद अब मंत्री पद को लेकर लॉबिंग शुरू हो गई है। इस पद की दौड़ में हमीरपुर जिले के दो विधायक इंद्रदत्त लखनपाल और राजेंद्र राणा शामिल हैं। जिले में कुल पांच विधानसभा क्षेत्र हैं। नादौन से सुखविंद्र सिंह सुक्खू मुख्यमंत्री हैं। भोरंज से सुरेश कुमार पहली मर्तबा विधायक बने हैं।

इस फेहरिस्त में मंत्री पद के लिए विधायक इंद्रदत्त लखनपाल का दावा मजबूत लग रहा है। इसके पीछे की वजह लखनपाल के राजनीतिक सफर की शुरुआत कांग्रेस के अग्रणी संगठन से होना मानी जा रही है। बड़सर विधानसभा क्षेत्र के विधायक इंद्रदत्त ने पंद्रह साल से भाजपा के कब्जे में रहे बड़सर के किले को ढहाया है।

वर्ष 1998 से लेकर 2012 तक बड़सर विधानसभा क्षेत्र से बलदेव शर्मा लगातार तीन बार विधायक रहे। लखनपाल ने न केवल भाजपा के कब्जे वाली इस सीट पर जीत का परचम लहराया, बल्कि इस बार के चुनाव में जीत की हैट्रिक भी लगाई। वर्ष 2012 से 2017 तक वीरभद्र सिंह सरकार में लखनपाल प्रदेश सरकार में मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) भी रहे हैं। हालांकि, शिमला विश्वविद्यालय में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और इंद्रदत्त लखनपाल एक साथ रहे हैं।

कॉलेज समय से एनएसयूआई के सहयोगी रहे सुक्खू और लखनपाल बाद में एक साथ नगर निगम शिमला के पार्षद चुने गए। लखनपाल नगर निगम शिमला के बालूगंज वार्ड तो सुक्खू छोटा शिमला से काउंसलर चुने गए। लखनपाल दो बार खुद और दो बार उनकी पत्नी शिमला नगर निगम की पार्षद रही हैं। इंद्रदत्त लखनपाल हिमाचल प्रदेश कांग्रेस सेवादल के चीफ भी रहे हैं। इस लिहाज से हमीरपुर जिले से अगर कोई मंत्री बना तो लखनपाल का दावा मजबूत होगा।

अगर बात करें राजेंद्र राणा की तो वह भाजपा शासित धूमल सरकार में मीडिया सलाहकार बोर्ड में ओहदेदार रहे। राणा ने वर्ष 2012 में सुजानपुर विस सीट से पहली बार निर्दलीय चुनाव जीता था, लेकिन लोकसभा चुनाव के कारण यह कार्यकाल पूरा नहीं हो पाया और उन्हें दो साल के बाद इस्तीफा देकर बीच में ही पद छोड़ना पड़ा। राणा दूसरी बार 2017 और अब 2022 में तीसरी बार विधायक चुने गए हैं।

लेकिन, विशुद्ध कांग्रेस की टिकट की बात करें तो राजेंद्र राणा कांग्रेस की टिकट पर दो बार ही विधायक बने हैं। वह पूर्व में न तो सीपीएस रहे और न मंत्री। हालांकि, राजेंद्र राणा वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष जरूर हैं। इसलिए राजेंद्र राणा मंत्री पद के लिए खूब जोर आजमाइश कर रहे हैं। देखना दिलचस्प रहेगा कि सुक्खू सरकार में हमीरपुर जिले से किसकी लॉटरी लगती है।

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जिला हमीरपुर से मुख्यमंत्री बनने के बाद अब मंत्री पद को लेकर लॉबिंग शुरू हो गई है। इस पद की दौड़ में हमीरपुर जिले के दो विधायक इंद्रदत्त लखनपाल और राजेंद्र राणा शामिल हैं। जिले में कुल पांच विधानसभा क्षेत्र हैं। नादौन से सुखविंद्र सिंह सुक्खू मुख्यमंत्री हैं। भोरंज से सुरेश कुमार पहली मर्तबा विधायक बने हैं।

इस फेहरिस्त में मंत्री पद के लिए विधायक इंद्रदत्त लखनपाल का दावा मजबूत लग रहा है। इसके पीछे की वजह लखनपाल के राजनीतिक सफर की शुरुआत कांग्रेस के अग्रणी संगठन से होना मानी जा रही है। बड़सर विधानसभा क्षेत्र के विधायक इंद्रदत्त ने पंद्रह साल से भाजपा के कब्जे में रहे बड़सर के किले को ढहाया है।

वर्ष 1998 से लेकर 2012 तक बड़सर विधानसभा क्षेत्र से बलदेव शर्मा लगातार तीन बार विधायक रहे। लखनपाल ने न केवल भाजपा के कब्जे वाली इस सीट पर जीत का परचम लहराया, बल्कि इस बार के चुनाव में जीत की हैट्रिक भी लगाई। वर्ष 2012 से 2017 तक वीरभद्र सिंह सरकार में लखनपाल प्रदेश सरकार में मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) भी रहे हैं। हालांकि, शिमला विश्वविद्यालय में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और इंद्रदत्त लखनपाल एक साथ रहे हैं।

कॉलेज समय से एनएसयूआई के सहयोगी रहे सुक्खू और लखनपाल बाद में एक साथ नगर निगम शिमला के पार्षद चुने गए। लखनपाल नगर निगम शिमला के बालूगंज वार्ड तो सुक्खू छोटा शिमला से काउंसलर चुने गए। लखनपाल दो बार खुद और दो बार उनकी पत्नी शिमला नगर निगम की पार्षद रही हैं। इंद्रदत्त लखनपाल हिमाचल प्रदेश कांग्रेस सेवादल के चीफ भी रहे हैं। इस लिहाज से हमीरपुर जिले से अगर कोई मंत्री बना तो लखनपाल का दावा मजबूत होगा।

अगर बात करें राजेंद्र राणा की तो वह भाजपा शासित धूमल सरकार में मीडिया सलाहकार बोर्ड में ओहदेदार रहे। राणा ने वर्ष 2012 में सुजानपुर विस सीट से पहली बार निर्दलीय चुनाव जीता था, लेकिन लोकसभा चुनाव के कारण यह कार्यकाल पूरा नहीं हो पाया और उन्हें दो साल के बाद इस्तीफा देकर बीच में ही पद छोड़ना पड़ा। राणा दूसरी बार 2017 और अब 2022 में तीसरी बार विधायक चुने गए हैं।

लेकिन, विशुद्ध कांग्रेस की टिकट की बात करें तो राजेंद्र राणा कांग्रेस की टिकट पर दो बार ही विधायक बने हैं। वह पूर्व में न तो सीपीएस रहे और न मंत्री। हालांकि, राजेंद्र राणा वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष जरूर हैं। इसलिए राजेंद्र राणा मंत्री पद के लिए खूब जोर आजमाइश कर रहे हैं। देखना दिलचस्प रहेगा कि सुक्खू सरकार में हमीरपुर जिले से किसकी लॉटरी लगती है।



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