Hanif Shaikh: प्रतिबंधित संगठन का सदस्य हनीफ शेख 22 साल बाद गिरफ्तार, 2001 से यूएपीए के मामले में था वांछित

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Hanif Shaikh member of banned organization arrested after 22 years

सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला

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दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने प्रतिबंधित संगठन सिमी के थिकटैंक व सक्रिय सदस्य रहे हनीफ शेख (47) को 22 साल बाद गिरफ्तार किया है। आरोपी महाराष्ट्र में भेष बदलकर उर्दू स्कूल में पढ़ा रहा था। वह वर्ष 2001 में न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाने में दर्ज यूएपीए व राजद्रोह के मामले में वांछित था। अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित किया हुआ था। हनीफ सिमी पत्रिका इस्लामिक मूवमेंट (उर्दू संस्करण) के संपादक थे। आरोपी ने 25 वर्षों के दौरान युवाओं को कट्टरता के बारे में पढ़ाया। वह महाराष्ट्र में यूएपी एक्ट के अन्य मामलों और अन्य राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में भी शामिल रहा है।

स्पेशल सेल के पुलिस उपायुक्त आलोक कुमार के अनुसार एसीपी वेदप्रकाश की देखरेख में इंस्पेक्टर पवन कुमार व एसआई सुमित की टीम सिमी के फरार हनीफ शेख समेत अन्य सदस्यों के बारे में पता कर रही थी। इंस्पेक्टर पवन की टीम ने इंस्पेक्टर करमवीर के साथ मिलकर कई राज्यों में फरार सिमी कैडरों, उनके समर्थकों और स्लीपर सेल के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रही थी। इस टीम ने देश के विभिन्न हिस्सों विशेषकर दिल्ली/एनसीआर, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु का दौरा कर जानकारी एकत्रित की। 

जांच के दौरान इंस्पेक्टर पवन को हनीफ शेख के बारे में सूचना मिली कि वह हनीफ हुडाई ने अपनी पहचान बदलकर मोहम्मद के रूप में कर ली है। हनीफ और अब महाराष्ट्र के भुसावल में एक उर्दू स्कूल में शिक्षक के नौकरी कर रहा है। पुलिस टीम ने आशा टावर, खड़का रोड, भुसावल महाराष्ट्र के पास घेराबंदी कर 22 फरवरी को मोहम्मददीन नगर से खड़का रोड की ओर आ रहे आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। दिल्ली की एक अदालत ने वर्ष 2002 में हनीफ शेख को भगोड़ा घोषित कर दिया था। आरोपी ने महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश में सिमी संगठन की बैठकों में भाग लेने, आयोजित करने जैसी सभी घटनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह अक्सर पुलिस को चकमा देने में कामयाब जो जाता था।

क्या है सिमी

स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का गठन 1976 में यूपी के अलीगढ़ में हुआ था। इस संगठन का विचार दार-उल-इस्लाम (इस्लाम की भूमि) की स्थापना करना है। जिहाद और शहादत सिमी के मूल नारे थे। विभिन्न राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में सिमी कार्यकर्ताओं की संलिप्तता के कारण सरकार ने सिमी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

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