[ad_1]
पहले से ही संकट के दौर से गुजर रहे फार्मा इंडस्ट्री के लिए उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक और मुश्किल खड़ी कर दी है। पैकेजिंग से लेकर अन्य उत्पादों में प्लास्टिक का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों के संचालन की अनुमति निरस्त होने के बाद फार्मा इंडस्ट्री पर भी संकट आ गया है।
हरिद्वार जनपद में 125 फार्मा कंपनियां हैं। कंपनियों को नोटिस जारी हो गए हैं। फार्मा कंपनियां बंद हुई देशभर में दवाओं का संकट खड़ा हो जाएगा। उद्यमियों का दावा है कि देशभर में कुल दवा खपत का 24 फीसदी उत्पादन हरिद्वार जिले में होता है। उत्तराखंड में दवा कंपनियों का आठ हजार करोड़ का निवेश है। इसका असर शेयर मार्केट से लेकर प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। 
उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दो दिसंबर को प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट 2016 के अंतर्गत ईपीआर एक्शन प्लान जमा नहीं करने पर प्रदेशभर में 1724 औद्योगिक इकाइयों के संचालन की अनुमति रद्द कर दी। इनमें 754 इकाइयां हरिद्वार जिले की हैं। इकाइयों पर लटकी बंदी की इस तलवार का सबसे बड़ा असर दवाओं पर पड़ेगा।
उत्पादन बंद नहीं किया
हरिद्वार जिला फार्मा कंपनियों का हब है। जिले में 125 दवा कंपनियां हैं। इनमें एशिया की सबसे बड़ी और नामी एकम्स समेत 50 कंपनियां सिडकुल हरिद्वार में उत्पादन करती हैं। बड़ी कंपनियां एशिया के कई देशों के लिए थर्ड पार्टी दवा का उत्पादन करती हैं। 
पीसीबी ने सभी फार्मा कंपनियों को नोटिस जारी कर दिए हैं। एनओसी रद्द होते ही कंपनियों का संचालन कानूनी तौर पर अवैध हो गया है। उद्यमियों के संगठनों की ओर से एनओसी रद्द करने के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की है। कोर्ट से राहत मिलने की उम्मीद में कंपनियों ने अभी उत्पादन बंद नहीं किया है। 
इनका कहना है
फार्मा कंपनियों में मात्र पांच फीसदी प्लास्टिक पैकिंग में उपयोग होता है। कंपनियों का उत्तराखंड में आठ हजार करोड़ का निवेश और देशभर में दवा उत्पादन में 24 फीसदी हिस्सेदारी हैं। हरिद्वार से भारत के अलावा 18 देशों को दवा की सप्लाई होती है। फार्मा कंपनियां पहले से ही रूस-यूकेन युद्ध और चीन से कच्चा माल की आपूर्ति कम होने से संकट के दौर से गुजर रही हैं। अब एनओसी रद्द कर नया संकट खड़ा करवा दिया है। 
– अनिल शर्मा, अध्यक्ष एसोसिएशन ऑफ फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरिंग 
– दवा कंपनियों से लाखों लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं। कंपनियां बंद होते ही सब बेरोजगार हो जाएंगे। बाजार में दवाओं का संकट खड़ा हो जाएगा और आम से खास को दिक्कतों का सामना करना पडे़गा।  
 – सुमित अग्रवाल, महामंत्री एसोसिएशन ऑफ फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरिंग 
– उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों और सरकार से बातचीत चल रही है। कोई न कोई बीच का रास्ता निकलेगा। दवा कारखाने बंद हुए तो अर्थव्यवस्था लड़खड़ा जाएगी। उत्तराखंड में दवा उद्योग से हजारों लोग जुड़े हैं। 
 – आरसी जैन, फार्मा उद्यमी 
– प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के फैसले से फार्मा उद्योग से जुड़े हजारों लोग असमंजस में हैं। बोर्ड का यह गैरजिम्मेदाराना फैसला है। कुछ कहने के लिए शब्द नहीं हैं। 
– सुनील अग्रवाल, फार्मा उद्यमी 
– दवाओं के पत्ते की पैकिंग में पीवीसी लगाई जाती है। सीरप की बोतलों की प्लास्टिक यूज होता है। कच्चा माल भी प्लास्टिक के कट्टे में आता है। बाहर दवाई भेजने के लिए भी प्लास्टिक की पैकिंग यूज होती है। 
– निखिल गोयल, फार्मा उद्यमी 
ये भी पढ़ें…IMA POP 2022:  सरहद की हिफाजत की ली सौगंध, तस्वीरों में देखें युवा अफसरों का देश की रक्षा के लिए उत्साह
– उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एक्शन प्लान देना चाहिए। यदि प्लान मिलता है तो उसके हिसाब से काम किया जा सकता है। इससे उद्यमियों को राहत मिल जाएगी। 
– अखिल विरमानी फार्मा उद्यमी
 
 
विस्तार 
पहले से ही संकट के दौर से गुजर रहे फार्मा इंडस्ट्री के लिए उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक और मुश्किल खड़ी कर दी है। पैकेजिंग से लेकर अन्य उत्पादों में प्लास्टिक का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों के संचालन की अनुमति निरस्त होने के बाद फार्मा इंडस्ट्री पर भी संकट आ गया है।
हरिद्वार जनपद में 125 फार्मा कंपनियां हैं। कंपनियों को नोटिस जारी हो गए हैं। फार्मा कंपनियां बंद हुई देशभर में दवाओं का संकट खड़ा हो जाएगा। उद्यमियों का दावा है कि देशभर में कुल दवा खपत का 24 फीसदी उत्पादन हरिद्वार जिले में होता है। उत्तराखंड में दवा कंपनियों का आठ हजार करोड़ का निवेश है। इसका असर शेयर मार्केट से लेकर प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। 
उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दो दिसंबर को प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट 2016 के अंतर्गत ईपीआर एक्शन प्लान जमा नहीं करने पर प्रदेशभर में 1724 औद्योगिक इकाइयों के संचालन की अनुमति रद्द कर दी। इनमें 754 इकाइयां हरिद्वार जिले की हैं। इकाइयों पर लटकी बंदी की इस तलवार का सबसे बड़ा असर दवाओं पर पड़ेगा।
 
[ad_2]
Source link