Hathras News: बैंड-बाजे, बग्घी के साथ निकली जूली की सवारी, पांच पिल्लो का हुआ नामकरण, देर रात तक चली दावत

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जूली और पांच पिल्लो के साथ किसान मोरध्वज कश्यप

जूली और पांच पिल्लो के साथ किसान मोरध्वज कश्यप
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

पहले देश में अंग्रेज अपने डॉगी-कैट (कुत्ते-बिल्लियों) के प्रति विशेष प्रेम रखते हुए उन्हें भारी महत्व देते थे। हालांकि यह चलन आज भी बरकरार है। सोमवार को गांव बरई शाहपुर में ऐसा ही नजार देखने को मिला। एक ग्रामीण ने बाजे-गाजे के साथ अपने डॉगी जूली रानी की सवारी निकाली और उसके पांच पिल्लो का नामकरण कराया।

गांव बरई शाहपुर निवासी मोरध्वज कश्यप किसान है। करीब 20 दिन पहले उसके डॉगी जूली रानी ने पांच पिल्लो को जन्म दिया था। मोरध्वज ने पिल्लो को नाम देने के लिए दावत का आयोजन किया। मोरध्वज ने सबसे पहले आयोजन स्थल तय किया। बैंड-बाजे, बग्घी, हलवाई आदि की बुकिंग करते हुए सभी तैयारियां पूरी कीं। साथ ही पूरे गांव को सामूहिक भोज में आने का न्योता भेज दिया। सोमवार को वह फूलों से सजी बग्घी में डॉगी जूली रानी और उसके पांचों पिल्लों को लेकर सवार हुआ। बैंड-बाजे के साथ पूरे गांव में बरात निकाली गई।बग्घी के साथ गांव वाले बराती बनकर नाचते-गाते चले।

खुद रखा पिल्लो का नाम, सहमति भी ली

आयोजन स्थल पर पहुंचने के बाद मोरध्वज ने खुद पांचों पिल्लो का नाम रखा। उसने पिल्लो के नाम जैकी, जॉन, रॉकी, राजा और जूलिया। इसके लिए उसने डॉगी जूली रानी से सहमति भी ली। दरअसल, वह एक पिल्ले का नाम रखता तो डॉगी जूली रानी से पूछता। जूली रानी के सिर हिलाने पर ही पिल्ले का नाम तय करता जाता।

सामूहिक भोज में ग्रामीणों को न्योता

पिल्लो के नाम रखने के बाद सामूहिक भोज शुरू किया गया। हलवाइयों ने पनीर की सब्जियां, पूड़ी, कचौड़ी, लड्डू समेत कई पकवान बनाए थे। बच्चे, बुजुर्ग, युवा, महिलाएं सहित 700 से ज्यादा ग्रामीण उत्साह पूर्वक आयोजन में शामिल हुए। गांव वालों को भरपेट खाते हुए पकवानों का भी स्वाद चखा। देर रात तक दावत चलती रही।

वायरल हुआ वीडियो

मोरध्वज ने बताया कि वह कई साल पहले सड़क से एक पिल्ला उठाकर घर लाया था। उसने उसे जूली रानी का नाम दिया। जूली रानी को उसने अपने बच्चे की तरह रखा है। तभी से वह उसकी देखभाल कर रहा है। मंगलवार को पिल्लो के नामकरण का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

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